हम सभी ने अपने जीवन में कभी न कभी यह बात जरूर सुनी होगी कि "जीतने वाले कभी हार नहीं मानते और हार मानने वाले कभी जीत नहीं पाते". यहां हमारी इंडियन टेलीविजन इंडस्ट्री में एक आइकन हैं भारतीय टेलीविजन उद्योग में, हमारे पास एक आइकन है जो इस बात को सच साबित करती हैं. यह एक्ट्रेस एक मशहूर भरतनाट्यम डांसर भी हैं और कम उम्र में अपना पैर खोने के बावजूद उन्होंने इस कला में महारत हासिल की है.
जी हां इस एक्ट्रेस ने अपना एक पैर खो दिया था लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. इस एक्ट्रेस ने खड़े होने और अपने सपनों की ओर बढ़ने का फैसला किया. आज वह न केवल साउथ और बॉलीवुड में एक पॉपुलर एक्ट्रेस हैं बल्कि वह छोटे पर्दे का भी जाना पहचाना चेहरा हैं. यह कोई और नहीं बल्कि सुधा चंद्रन हैं.
27 सितंबर, 1965 को जन्मी सुधा मुंबई से हैं लेकिन उनका परिवार का मूल तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के वायलुर से है. सुधा के पिता के.डी. चंद्रन एक एक्टर थे और यूएसआईएस में काम किया. सुधा ने मुंबई के मीठीबाई कॉलेज से बीए किया और फिर इकोनॉमिक्स में एमए किया.
वह दुखद दुर्घटना जिसने सुधा की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी
1981 में सुधा तमिलनाडु में एक दुर्घटना का शिकार हो गईं और उनके पैर गंभीर रूप से घायल हो गए. उस वक्त सुधा सिर्फ 16 साल की थीं. इलाज के दौरान डॉक्टरों को पता चला कि सुधा का दाहिना पैर गैंगरीन से प्रभावित है. डॉक्टरों ने पैर काटने की सलाह दी और उनका पैर काट दिया गया. इसके बाद प्रोस्थेटिक जयपुर फुट की मदद से सुधा दोबारा अपने पैरों पर खड़ी हुईं.
इस दुखद हादसे के बाद एक समय ऐसा भी आया जब सुधा ने अपनी जिंदगी से हार मान ली. ईटाइम्स को दिए इंटरव्यू में सुधा ने स्वीकार किया, "मैं हादसे के बाद जीना नहीं चाहती थी." हालांकि उनके माता-पिता ने उन्हें प्रोत्साहित किया. धीरे धीरे सुधा ने अपने सपनों को सच करने के लिए संघर्ष करने का फैसला किया. दो साल के ब्रेक के बाद, सुधा डांस में लौट आईं और एक प्रसिद्ध कलाकार बन गईं. भारत के अलावा सुधा ने सऊदी अरब, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, यूएई, कतर, कुवैत, बहरीन, यमन और ओमान में परफॉर्म किया है.
एक्टिंग की शुरुआत
सुधा ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत तेलुगू फिल्म मयूरी (1985) से की. यह फिल्म उनके जीवन पर आधारित थी और यह बॉक्स-ऑफिस पर सफल रही थी. मयूरी के बाद सुधा ने कई तमिल, तेलुगू फिल्में कीं लेकिन वे बॉक्स ऑफिस पर नहीं चलीं. लगातार फ्लॉप्स की वजह से सुधा को फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने की सलाह दी गई.
जीवन में एक ऐसा दौर आया जब सुधा के पास कोई काम नहीं था. वह 7 साल तक बेरोजगार थीं. इस बीच सुधा ने 1994 में असिस्टेंट डायरेक्टर रवि डांग से शादी कर ली. हालांकि सुधा के तमिल माता-पिता इस शादी के खिलाफ थे लेकिन उन्होंने घरवालों को मना लिया.
सुधा चंद्रन की वापसी और सेकेंड इनिंग
एकता कपूर की बालाजी टेलीफिल्म्स ने सुधा को सीरीज कहीं किसी रोज़ में अमीर बिजनेस वुमेन रमोला सिकंद का रोल ऑफर किया और यह उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ बन गया. सीरीज और उनका किरदार बेहद सफल रहा और जिन लोगों ने उन्हें इंडस्ट्री छोड़ने की सलाह दी उन्होंने उन्हें नेगेटिव रोल में बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड दिया. सुधा को अदालत, नागिन फ्रेंचाइजी, बेपनाह प्यार, इश्क में मरजावां और बेकाबू जैसी सीरीज में भी इंप्रेसिव अंदाज में देखा है. सुधा ने हम आपके दिल में रहते हैं, मालामाल वीकली, सामी 2 जैसी कई फिल्में भी की हैं.
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