12 साल पहले रिलीज हुई तलाश: द आंसर लाइज विदइन आज भी भारतीय सिनेमा में अपनी गहरी कहानी, रहस्यमय माहौल और बेहतरीन अभिनय के लिए याद की जाती है. रीमा कागती के निर्देशन में बनी इस फिल्म में आमिर खान, करीना कपूर खान और रानी मुखर्जी जैसे बड़े सितारों के बीच नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपने छोटे लेकिन प्रभावशाली किरदार तैमूर के जरिए एक अलग पहचान बनाई. तलाश केवल एक मनोवैज्ञानिक थ्रिलर नहीं थी, बल्कि दुख, अपराधबोध और अलौकिक तत्वों की गहरी परतों को दिखाने वाली फिल्म थी. तैमूर का किरदार एक ऐसे इंसान की कहानी थी, जो अपराध की दुनिया में फंसा हुआ था और अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा था. नवाजुद्दीन ने इस जटिल और भावनात्मक किरदार को अपने सूक्ष्म अभिनय और गहरी भावनाओं से जीवंत कर दिया.
कम स्क्रीन टाइम के बावजूद नवाजुद्दीन ने अपनी अदाकारी से दर्शकों और आलोचकों पर गहरी छाप छोड़ी. उनकी बॉडी लैंग्वेज, संयमित संवाद अदायगी और आंखों के भावों ने तैमूर को फिल्म के सबसे यादगार किरदारों में से एक बना दिया. बड़े सितारों के बीच रहते हुए भी उन्होंने यह साबित किया कि एक सच्चे कलाकार के लिए अभिनय का प्रभाव ही सबसे बड़ा होता है.
तलाश नवाजुद्दीन सिद्दीकी के करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई. इससे पहले गैंग्स ऑफ वासेपुर और कहानी में उनके अभिनय की तारीफ हो चुकी थी, लेकिन तलाश ने उनके अभिनय कौशल को और मजबूती से स्थापित किया. इसके बाद द लंचबॉक्स, मंटो और बजरंगी भाईजान जैसी फिल्मों ने उनके करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया.
आज जब तलाश अपनी 12वीं सालगिरह मना रही है, यह फिल्म न केवल भारतीय सिनेमा की अद्भुत थ्रिलर कहानियों में से एक है, बल्कि नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे कलाकारों की प्रतिभा का जश्न भी है. तैमूर का किरदार यह दिखाता है कि सच्ची प्रतिभा हर परिस्थिति में चमक सकती है, चाहे वह परदे पर कुछ ही समय के लिए क्यों न दिखे. नवाजुद्दीन सिद्दीकी का यह प्रदर्शन उनके करियर के सबसे शानदार प्रदर्शनों में से एक है और तलाश उनके अभिनय सफर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी रहेगी.
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