कई दिग्गज सितारों की फिल्में ओटीटी की राह चुन रही हैं. वह सिनेमाघरों पर रिलीज न होकर सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रही हैं. रश्मिका मंदाना और सिद्धार्थ मल्होत्रा की फिल्म 'मिशन मजनू' भी ऐसी ही फिल्म है. शांतनू बागची की 'मिशन मजनू' सीधे नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है. लेकिन हमेशा की तरह यह बात एक बार फिर साबित होती है कि ओटीटी की राह चुनने वाली फिल्म कई कसौटियों पर कमजोर होती है. बिल्कुल कुछ ऐसा ही मिशन मजनू के बारे में है. फिल्म की कहानी में नएपन का घोर अभाव है और फिल्म को देखकर लगता है कि इस तरह की कहानियां पहले भी देखी जा चुकी हैं.
'मिशन मजनू' की कहानी सिद्धार्थ मल्होत्रा की है जो रॉ एजेंट है. उसका एक मिशन है और इस मिशन के टारगेट पर है पाकिस्तान के खुफिया परमाणु मिशन का पता लगाना. इस तरह उसे एक खतरनाक मिशन को अंजाम देना है और वह भी पाकिस्तान में रहकर. अब उसके सामने जहां देश है तो वहीं उसका इश्क भी है. इस तरह फिल्म को गढ़ा गया है. कहानी बहुत ही ऑब्वियस है और एक्साइटमेंट पैदा करने में कामयाब नहीं रहती है. फ़िल्म की कहानी अगर पूरी फिल्मी लगे तो यह सबसे बड़ी गड़बड़ होती है. शान्तनु फ़िल्म को यथार्थ के धरातल पर मज़बूती से उतारने में विफल रहे हैं और अपनी अलग ही दुनिया रच बैठे हैं.
सिद्धार्थ मल्होत्रा फिल्म में अच्छी मेहनत करते नजर आते हैं और उन्होंने रॉ एजेंट के किरदार को अच्छे से निभाया है. वहीं रश्मिका मंदाना ने भी ठीक-ठाक काम किया है. 'मिशन मजनू' के बाकी कलाकार भी ठीक हैं, लेकिन कुछ एक्सेप्शनल फिल्म में नजर नहीं आता है. एक अच्छे विषय को चुनने के बाद भी डायरेक्टर न तो कहानी के साथ कुछ कर पाते हैं और न ही इन सितारों को ही चमका पाते हैं.
रेटिंग: 2.5/5 स्टार
डायरेक्टर: शांतनु बागची
कलाकार: सिद्धार्थ मल्होत्रा, रश्मिका मंदाना, कुमुद मिश्रा, परमीत सेठी और शारिब हाशमी
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