फिल्म की कहानी है झोपड़ पट्टी में रहने वाले कनु की, जो अपनी मां के लिए टॉयलेट बनवाने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखता है, क्योंकि एक दिन सुबह शौच के लिए जाते वक्त कनु की मां का रेप हो जाता है और अपने मां के दुःख से दुखी कनु निकल पड़ता है प्रधानमंत्री के नाम पत्र लेकर दिल्ली के लिए. आगे की कहानी के बारे में जानने के लिए आपको सिनेमाघर तक जाना पड़ेगा. इस फिल्म की खामी इसकी स्क्रिप्ट है, जो कि मुद्दे से इधर-उधर भटकती है और साथ ही इसका स्क्रीनप्ले जो फिल्म को लम्बा करता है. छोटी सी कहानी को मोमेंट्स क्रिएट करने के लिए फिल्म को 2 घंटे में फैलाई गई है.
कंगना रनौत की नाराजगी पर आमिर खान ने दिया जवाब, बोले- जब मैं उनसे मिलूंगा तो पूछूंगा कि...'
डी-फोकस करके फिल्म को थोड़ा उबाऊ कर देते हैं. इसके अलावा इसी मुद्दे पर हम 'टॉयलेट- एक प्रेम कथा' और 'हल्का' जैसी फिल्में देख चुके हैं तो विषय की नॉवल्टी भी उतनी नहीं रहती. फिल्म की एक और बड़ी खामी ये है कि कहानी का मर्म आप कई जगह महसूस नहीं करते और साथ में कई किरदारों का भी.
बावजूद इसके कि हम इस विषय पर सौ फिल्में देख चुके हैं, फिर भी इस फिल्म की सबसे बड़ी खूबी है इसका विषय, क्योंकि बतौर फिल्मकार अपनी जिम्मेदारी समझते हुए राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने यह विषय उठाया. इसके अलावा दूसरी खूबी है अंजली पाटिल और ओम कन्नौजिया की अदाकारी. इसके अलावा फिल्म के गाने अच्छे लगे फिर चाहे वो इनका संगीत हो या फिर लिखायी. वहीं मैं तारीफ करना चाहूंगा फिल्म की सिनेमेटोग्राफी की, जो फिल्म को इसकी दुनिया के करीब रखती है. बाकी फैसला आपके हाथ में, मेरी और से इसे 2.5 स्टार्स.
कास्ट एंड क्रू
कलाकार: मकरंद देशपांडे, अंजलि पाटिल, ओम कनोजिया, अतुल कुल्कर्नी और नीतीश वाधवा
राइटर: मनोज मैरता, हुसैन दलाल और राकेश ओम प्रकाश मेहरा
डायरेक्टर: राकेश ओम प्रकाश मेहरा
म्यूजिक: शंकर, अहसान, लॉय
...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं