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This Article is From Jun 06, 2019

फिल्मों में कॉस्ट्यूम से भी रोचक है कॉस्ट्यूम डिजाइनर चंद्रकांत सोनवणे का सफर

बाजीराव मस्तानी, पद्मावत, भूमि और रामलीला जैसी फिल्मों में बतौर कॉस्ट्यूम डिजाइनर काम कर चुके चंद्रकांत सोनवणे ने बचपन में एक आर्टिकल पढ़ा, जिसने उनकी जिंदगी बदलकर रख दी. 

फिल्मों में कॉस्ट्यूम से भी रोचक है कॉस्ट्यूम डिजाइनर चंद्रकांत सोनवणे का सफर
चंद्रकांत सोनवणे
नई दिल्ली:

किसी भी फिल्म को हिट होने के लिए कसी हुई स्क्रिप्ट, बढ़िया कलाकार और शानदार लोकेशन के साथ-साथ अच्छी कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग की भी जरूरत होती है. किरदारों की कॉस्ट्यूम कहानी को जीवंत बनाती है. खासकर एतिहासिक पृष्ठभूमि पर बनी फिल्मों में तो कॉस्ट्यूम या परिधान अहम भूमिका निभाते हैं. फिल्मों में कलाकारों के कपड़ों को डिजाइन करने में एक बड़ी रिसर्च टीम और क्रिएटिवीटी की जरुरत होती है. चंद्रकांत सोनवणे ऐसी ही एक टीम के साथ काम करते हैं. बाजीराव मस्तानी, पद्मावत, भूमि और रामलीला जैसी फिल्मों में बतौर कॉस्ट्यूम डिजाइनर काम कर चुके चंद्रकांत सोनवणे महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में पैदा हुए थे. साधारण परिवार में जन्में चंद्रकांत का बचपन मुफलिसी में बीता लेकिन अखबार में निकले एक आर्टिकल ने उनकी जिंदगी को बदलकर रख दिया. 

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चंद्रकांत सोनवणे ने एनडीटीवी से खास बात की. उन्होंने बताया कि एक लेख को पढ़ने के बाद तय किया कि फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई करनी है. लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति उनके सामने चनौती बनकर खड़ी हो गई. चंद्रकांत का कहना है कि इस सफर में उन्होंने जी तोड़ मेहनत के साथ धैर्य को अपना साथी बनाए रखा. और तमाम चुनौतियों को पार करने के बाद इस मुकाम पर पहुंचे. बॉलीवुड और फैशन की दुनिया में जाना माना नाम चंद्रकांत बताते हैं कि उनके काम में ऑब्जर्वेशन और फोकस की बहुत जरूरत होती है. किसी फिल्म के किरदार की ड्रेस को डिजाइन करने से पहले स्क्रिप्ट को पढ़ना पड़ता है. उस युग या समय के बारे में जानकारियां जुटानी होती हैं. 

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बाजीराव मस्तानी फिल्म का जिक्र करते हुए चंद्रकांत बताते हैं कि डिजाइन करने के लिए हमने उस लोगों से मुलाकात की जो उस परिवार से ताल्लुकात रखते हैं. उन कपड़ों को बारिकी से देखा, जूलरी का भी बारिकी से अध्ययन किया गया. उसके बाद फिल्म के लिए ड्रेस डिजाइन की गई. इस काम में महीनों का वक्त लगता है. एंब्रॉयडरी से लेकर कलर कॉम्बिनेशन तक पर लंबी चर्चा होती है और आखिर में फिल्म की ड्रेस को आप पर्दे पर देख पाते हैं. इस फील्ड में अपना करियर तलाश रहे लोगों को चंद्रकांत कहते हैं कि लगन के साथ साथ धैर्य बनाएं रखें. अपने काम को सार्थक करने और कामयाबी के मुकाम तक पहुंचाने में यह धैर्य ही सबसे ज्यादा मददगार साबित होता है. 
 

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