मशहूर गीतकार और लेखक जावेद अख्तर एक बार फिर चर्चा में हैं. सोशल मीडिया पर उनका एक पुराना वीडियो दोबारा वायरल हो रहा है, जिसमें वे महिलाओं के हिजाब पहनने के तर्क पर सवाल उठाते नजर आ रहे हैं. यह वीडियो ओडिशा के भुवनेश्वर में आयोजित SOA लिटरेरी फेस्टिवल 2025 के दौरान का है, जहां एक छात्र के सवाल पर उन्होंने अपनी राय रखी थी. कार्यक्रम के दौरान जावेद अख्तर से पूछा गया कि क्या चेहरे को ढकना किसी महिला को कम मजबूत बनाता है. इस सवाल के जवाब में जावेद ने कहा कि मुद्दा किसी महिला की मजबूती या कमजोरी का नहीं है, बल्कि सोच और सामाजिक दबाव का है. ब्रेनवाश का असर है. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर महिला को अपना चेहरा ढकने की जरूरत क्यों महसूस कराई जाती है.
जावेद अख्तर ने कहा कि वे ऐसे माहौल में पले-बढ़े हैं, जहां महिलाओं ने कभी बुर्का नहीं पहना और फिर भी वे बेहद आत्मविश्वासी और मजबूत थीं. उन्होंने यह भी कहा कि किसी महिला को अपने चेहरे से शर्म महसूस करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए. हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनका मानना है कि पुरुष और महिला दोनों को ही सलीके और गरिमा के साथ कपड़े पहनने चाहिए. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे किसी पुरुष का दफ्तर या कॉलेज में बहुत छोटे या अभद्र कपड़े पहनना उचित नहीं माना जाता, वैसे ही महिलाओं को भी मर्यादित ढंग से कपड़े पहनने चाहिए, लेकिन चेहरे को ढकना जरूरी नहीं है.
जावेद अख्तर के इस बयान पर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. कुछ लोग उनके विचारों का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ इसे व्यक्तिगत आस्था और पसंद से जोड़कर देख रहे हैं. वीडियो के दोबारा सामने आने के बाद यह मुद्दा एक बार फिर सार्वजनिक बहस का विषय बन गया है.
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