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इस फिल्म ने सिनेमा में की 'संगीत' की शुरुआत, फिल्म में थे 71 गाने, सबसे ज्यादा गाने होने पर गिनीज बुक में हुआ था नाम दर्ज, क्या आपको पता है नाम?

93 साल पुरानी इस हिंदी फिल्म में 71 गाने थे. समय-समय पर बॉलीवुड में कई म्यूजिकल रोमांटिक ड्रामा फिल्में बनी हैं, जो दर्शकों को इंप्रेस करने में कामयाब रही हैं. कहा जाता है कि फिल्म 'इंद्रसभा' ने हिंदी सिनेमा में म्यूजिक के युग की शुरुआत की थी.

इस फिल्म ने सिनेमा में की 'संगीत' की शुरुआत, फिल्म में थे 71 गाने, सबसे ज्यादा गाने होने पर  गिनीज बुक में हुआ था नाम दर्ज, क्या आपको पता है नाम?
93 साल पुरानी इस हिंदी फिल्म में थे 71 गाने, ये था रनटाइम
नई दिल्ली:

हिंदी सिनेमा में कई फिल्में अपनी कहानी कम और गानों से ज्यादा हिट हुई हैं. समय-समय पर बॉलीवुड में कई म्यूजिकल रोमांटिक ड्रामा फिल्में बनी हैं, जो दर्शकों को इंप्रेस करने में कामयाब रही हैं. इनमें से एक फिल्म 'इंद्रसभा' भी है. 'इंद्रसभा' साल 1932 में रिलीज हुई थी. कहा जाता है कि फिल्म 'इंद्रसभा' ने हिंदी सिनेमा में म्यूजिक के युग की शुरुआत की थी. यकीन करना मुश्किल हो सकता है कि इस फिल्म में 71 गाने थे. गौरतलब है कि एक फिल्म में सबसे ज्यादा गाने होने के चलते इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (1980) में दर्ज हुआ था. हिंदी भाषा में बनी फिल्म इंद्रसभा को जे.जे मदान ने डायरेक्ट किया था. आईएमडीबी ने इसे 10 में से 7 रेटिंग दी है.

क्या है इंद्रसभा की कहानी?

फिल्म के लेखक सैयद आगा हसन अमानत थे. फिल्म की स्टारकास्ट की बात करें तो इसमें निसार, जहांआरा कज्जन, अब्दुल रहमान काबुली अहम रोल में थे. यह एक बिग बजट फिल्म थी. 69 से ज्यादा गानों वाली यह बिग बजट फिल्म एक दयालु राजा के इर्द-गिर्द घूमती एक कहानी पर बेस्ड है, जिसकी नैतिकता को दिव्य शक्तियों द्वारा परखा जाता है. भगवान राजा के सामने एक अप्सरा को दयनीय महिला के रूप में दया की भीख मांगते हुए भेजते हैं. 3 घंटे 31 मिनट की यह ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म दर्शकों के बीच आज भी पॉपुलर है.

इंद्रसभा के बने कई रूपांतरण

गौरतलब है कि इंद्रासभा एक पाकिस्तानी प्ले है, जो 1853 में पहली बार देखा गया था. साल 1880 में इसका जर्मन रूपांतरण बना था. भारत में मणिलाल जोशी ने साल 1925 में इस नाटक पर आधारित इंद्रसभा नाम से ही एक साइलेंट फिल्म बनाई थी. इसके बाद साल 1932 में 71 गानों वाली फिल्म इंद्रसभा बनी, जिसे जमशेदजी फ्रामजी मदन की कंपनी (मदन थिएटर) ने बनाया था. इसके बाद साल 1936 में एस नारायण, आएस प्रकाश ने इसी नाम से तमिल भाषा में यह फिल्म बनाई.




 

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