माधुरी दीक्षित आज सुपरस्टार के तौर पर जानी जाती हैं, लेकिन इंडस्ट्री में उनके शुरुआती कुछ साल बहुत अच्छे नहीं रहे. लगातार दो फ्लॉप फिल्म देने के बाद,उनका करियर डगमगाने लगा था. लेकिन 1988 में आई एक्शन ड्रामा फिल्म तेज़ाब और दिल (1990), बेटा (1992), हम आपके हैं कौन..! (1994) और दिल तो पागल है (1997) जैसी फिल्मों ने उन्हें स्टार बना दिया. सिद्धार्थ कन्नन के साथ उनके यूट्यूब चैनल पर बातचीत में उनकी फिल्म दिल और बेटा के निर्देशक इंद्र कुमार ने खुलासा किया कि 80 के दशक के आखिरी में उन्हें 'मनहूस लड़की' के तौर पर जाना जाता था.
इंटरव्यू के दौरान, इंद्र ने कहा कि उस समय कोई भी माधुरी को अपनी फिल्मों में नहीं ले रहा था. उन्होंने कहा, उस समय,आमिर के पास केवल एक हिट फिल्म थी कयामत से कयामत तक, जबकि माधुरी स्टारर एक भी फिल्म नहीं चली थी. उन्हें 'मनहूस लड़की' कहा जाता था. जब मैंने आमिर खान के साथ दिल के लिए उन्हें साइन किया, तब भी सब ठीक था, लेकिन जब मैंने उन्हें बेटा के लिए भी साइन किया, तो सभी ने कहा, ‘पागल हो गया है तू, इसकी कोई फिल्म नहीं चल रही है'.
उन्होंने आगे कहा, “उस समय तक एक इंटरव्यू सामने आ चुका था, जिसमें कहा गया था, ‘माधुरी एक बदकिस्मत लड़की है. वह जिस भी फिल्म में होती है, वह फ्लॉप हो जाती है.' फिर भी मैंने 1988 में माधुरी के साथ दिल और बेटा दोनों पर काम करना शुरू कर दिया. मुझे उन पर भरोसा था. मेरे दिल में कुछ ऐसा था जो कह रहा था, ‘यार, इसमें बात है, कुछ है इसमें'.
इंद्र ने यह भी खुलासा किया कि तेजाब और राम लखन जैसी दो धमाकेदार हिट फिल्में देने के बाद उनका ‘फ्लॉप' टैग गायब हो गया. उसके बाद, मैं भी भाग्यशाली रहा. उन्होंने कहा, मैंने अक्टूबर में फिल्म शुरू की और दिसंबर 1988 में तेजाब रिलीज हुई और जनवरी 1989 में राम लखन रिलीज हुई. माधुरी का जो 'बेचारी फ्लॉप' वाला इंप्रेशन था, अब लोगों के नजरिए में उनके लिए बदलाव आया. मेरा अगला शेड्यूल अक्टूबर से छह महीने बाद था, जब माधुरी वहां आईं. वह पहले से ही सुपरस्टार थीं. स्टार बनने के बाद वह पहले दिन से ही जमीन से जुड़ी हुई थीं और आज भी हैं, कोई बदलाव नहीं हुआ है.
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