Gunjan Saxena The Kargil Girl Review: शौर्य चक्र विजेता गुंजन सक्सेना की बायोपिक को देखने के बाद पहली बाद जो जुबान पर आती है, वह यह कि फिल्म बहुत ही इंस्पायरिंग है और देशभक्ति और बहादुरी के जज्बे से भरपूर है. 'गुंजन सक्सेनाः द कारगिल गर्ल' में गुंजन के पायलट बनने और फिर कारगिल में युद्ध भूमि में जौहर दिखाने को दिखाया गया है. गुंजन सक्सेना के रोल में जाह्नवी कपूर (Janhvi Kapoor) ने अच्छा काम किया है और पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi) ने गुंजन सक्सेना के पिता के रोल को भी पूरी शिद्दत के साथ निभाया है.
फिल्म की कहानी गुंजन सक्सेना (Gunjan Saxena: The Kargil Girl) कारगिल युद्ध से शुरू होती है सीधे पहुंचती है गुंजन (जाह्नवी कपूर) के दसवीं के रिजल्ट पर. गुंजन सक्सेना को पायलट बनना है, यह बात सुनकर घर वाले चौंक जाते हैं, भाई और पूरा परिवार उसके लड़की होने की दुहाई देते हैं. लेकिन गुंजन हिम्मत नहीं हारती है. फिर एक दिन सेना में महिला पायलट के लिए मौका खुलता है और गुंजन सक्सेना किस्मत आजमाने पहुंच जाती है. वहां गुंजन की एक सेंटीमीटर हाइट और वेट दोनों बाधा बनते हैं. गुंजन उस बाधा को भी पार करती है लेकिन उसके बाद पुरुषों के बीच एक महिला का होना कम चुनौतीपूर्ण नहीं होता है. इस तरह डायरेक्टर ने गुंजन सक्सेना की जिंदगी को अच्छे से दिखाया है और फिल्म को खींचने की कोशिश भी नहीं की है.
फिल्म में जाह्नवी कपूर और पंकज त्रिपाठी (बाप-बेटी) की जुगलबंदी बहुत ही मजेदार है. फिल्म में गुंजन के किरदार को निभाने के लिए जाह्नवी कपूर काफी कोशिश करती नजर आती हैं. अंगद बेदी भी ठीक हैं, और विनीत कुमार सिंह ने अच्छा काम किया है, और मानव विज छोटा रोल होने के बाद भी ध्यान खींचते हैं. इस तरह नेटफ्लिक्स फिल्म 'गुंजन सक्सेनाः द कारगिल गर्ल (Gunjan Saxena: The Kargil Girl)' रियल लाइफ महिला पायलट की जिंदगी को समझने की एक सफल कोशिश है.
रेटिंगः 3.5 स्टार
डायरेक्टरः शरण शर्मा
कलाकारः जाह्नवी कपूर, पंकज त्रिपाठी, अंगद बेदी और विनीत कुमार सिंह
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