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फ़िल्मों के कलाकार थिएटर से डरते हैं... कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा ने किया खुलासा

मुकेश छाबड़ा कास्टिंग कंपनी द्वारा प्रस्तुत खिड़कियां थिएटर फेस्टिवल 19 सितम्बर से शुरू होकर 21 सितम्बर तक तीन दिनों तक आयोजित हो रहा है.

फ़िल्मों के कलाकार थिएटर से डरते हैं... कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा ने किया खुलासा
फ़िल्मों के कलाकार थिएटर से डरते हैं
नई दिल्ली:

मुकेश छाबड़ा कास्टिंग कंपनी द्वारा प्रस्तुत खिड़कियां थिएटर फेस्टिवल 19 सितम्बर से शुरू होकर 21 सितम्बर तक तीन दिनों तक आयोजित हो रहा है. इसके दूसरे दिन विले पार्ले (ईस्ट) के साठे कॉलेज में थिएटर प्रेमियों का सैलाब उमड़ा. सितारों की मौजूदगी और इंदु शर्मा के नाटक सब ता ठ पड़ा रह जाएगा ने शाम को और खास बना दिया.

बॉलीवुड की कई ब्लॉकबस्टर फ़िल्मों के लिए कास्टिंग कर चुके और इंडस्ट्री को कई नए चेहरे देने वाले मुकेश छाबड़ा ने इस फेस्टिवल की शुरुआत थिएटर को उसका सही सम्मान दिलाने के मक़सद से की थी. उनके लिए खिड़कियां सिर्फ़ एक मंच नहीं बल्कि एक भावनात्मक रिश्ता है, जहां बिना किसी बनावट के कहानी और कलाकार अपनी असली ताक़त में सामने आते हैं.

मुकेश छाबड़ा ने एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा, “मुझे लगता है वो डरते हैं, क्योंकि उन्होंने नाटक कभी किया नहीं और वो सीधे फ़िल्मों में आए हैं. थिएटर में जो लाइव रिएक्शन है, वो तुरंत मिल जाता है. यहां कोई एडिटिंग नहीं होती, कोई कट नहीं होता. मुझे लगता है जिन्होंने नाटक से शुरुआत नहीं की है, उनके लिए नाटक करना बेहद मुश्किल है.”

मुकेश छाबड़ा का रिश्ता नाटकों से पुराना है. वह राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (National School of Drama) के थिएटर इन एजुकेशन (Theatre in Education - TIE) से भी जुड़े रहे हैं. यही कारण है कि उनका थिएटर से लगाव सिर्फ़ एक उत्सव तक सीमित नहीं बल्कि जीवन का अहम हिस्सा है.

मुंबई से शुरू हुआ यह नाटक समारोह अब देश के अलग-अलग शहरों तक ले जाने की योजना है. मुकेश छाबड़ा इसे भोपाल (Bhopal), लखनऊ (Lucknow), दिल्ली (Delhi) और जयपुर (Jaipur) ले जाना चाहते हैं. इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा, “इन शहरों में थिएटर का कल्चर है और यहां लोग थिएटर बड़े प्यार से देखते हैं. साथ ही वहीं के लोगों के साथ नाटक करवाना है, ताकि वहीं के लोग आएं और फ्री में नाटक देखें.”

थिएटर हमेशा से फाइनेंस की कमी से जूझता रहा है, लेकिन चमक-दमक और ग्लैमर की दुनिया में आने के बावजूद मुकेश ने थिएटर से अपना नाता नहीं तोड़ा. उनका यह जुड़ाव थिएटर के प्रति उनकी गहरी निष्ठा दिखाता है. इस फेस्टिवल से दोहरा फायदा है — पहला, मुकेश को इस समारोह के ज़रिए नए कलाकार मिल जाते हैं, जो उनकी कास्टिंग एजेंसी के लिए बेहद उपयोगी हैं क्योंकि फ़िल्मों की कास्टिंग में अक्सर नए चेहरों और उम्दा कलाकारों की तलाश रहती है. दूसरा, जो लोग फ़िल्मों में काम करना चाहते हैं, वे इस समारोह में शामिल होकर मुकेश और उनकी कंपनी की नज़र में आ जाते हैं, जिससे भविष्य में उनके लिए सिनेमा के दरवाज़े खुलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.

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