दिग्गज फिल्म कलाकार धर्मेंद्र ने अपने करियर में तमाम यादगार फिल्में दी हैं और जबरदस्त स्टारडम को भी जिया है. लेकिन ये कम ही लोग जानते हैं कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए धर्मेंद्र को लंबा संघर्ष भी करना पड़ा है. करीब छह साल तक धर्मेंद्र एक अदद फिल्म के लिए तरसते रहे. उन्हें डेब्यू का तो मौका मिल चुका था, लेकिन एक ऐसी फिल्म जो उन्हें स्थापित कर सके, उसके इंतजार में वो छह साल तक कोशिश करते रहे. आखिरकार उनकी कोशिश कामयाब साबित हुई. वो भी कुछ इस तरह कि उनकी फिल्म ने उस दौर में करोड़ों की कमाई की और तीन अलग अलग भाषाओं में रीमेक भी हुए. दिलचस्प बात ये है कि हर रीमेक ने जबरदस्त कमाई भी की.
छह साल बाद मिली कामयाबी
धर्मेंद्र ने फिल्म इंडस्ट्री में जिस फिल्म के जरिए कदम रखा था, उस फिल्म का नाम था दिल भी तेरा हम भी तेरे. इस फिल्म के बाद धर्मेंद्र को अपनी पहचान बनाने में कुछ वक्त लगा. करीब छह साल बाद उनकी फिल्म आई फूल और पत्थर. 1966 के साल में रिलीज हुई ये फिल्म एक जज्बातों से भरी रोमांटिक फिल्म थी, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया. डायरेक्टर प्रोड्यूसर ओपी रहलन की इस फिल्म में धर्मेंद्र पहली बार मीना कुमारी के साथ दिखे. ये वो समय था जब मीना कुमारी एक जाना माना नाम थीं और धर्मेंद्र पहली बार हिट हुए थे. उसके बावजूद ये जोड़ी दर्शकों के दिल में उतरने में कामयाब रही.
चार साल में बने तीन रीमेक
फिल्म इस कदर हिट रही कि महज 62 लाख रु. में बनी फिल्म ने घरेलू बॉक्स ऑफिस पर 2 करोड़ रुपए और दुनियाभर में 4 करोड़ रुपए का कारोबार किया था. फिल्म की इस कामयाबी ने अलग अलग भाषा के डायरेक्टर्स को भी अट्रेक्ट किया, जिसके चलते फिल्म तेलुगू भाषा में निंदु मनासुलु, तमिल में ओली विलक्कू और मलयालम भाषा में पुथिया वेलिचम के नाम से रीमेक हुई और हर रीमेक ने भी जबरदस्त कमाई की.
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