आज सदाबहार अभिनेता देव आनंद का जन्मदिन है
नई दिल्ली:
एवरग्रीन हीरो कहे जाने वाले देव आनंद का जन्म 26 सितंबर, 1923 को पंजाब के गुरदासपुर जिले में हुआ था. आज उनका जन्मदिन है. उनके पिता पिशौरी लाल आनंद गुरदासपुर के जाने-माने वकील थे. उनकी स्कूलिंग डलहौजी में हुई जबकि लाहौर से उन्होंने इंग्लिश लिटरेचर में ग्रेजुएशन किया. पढ़ाई पूरी करने के बाद देव आनंद ने मुंबई जाने का फैसला किया और वे 1940 के दशक में मुंबई आ गए. यहां गुजारा करने के लिए उन्होंने नौकरी ढूंढी और उन्हें मिलिट्री सेंसर ऑफिस में क्लर्क की नौकरी मिल गई.
यह भी पढ़ेंः डांडिया में पहुंचा हिंदुस्तानी ठग, शुरू किया ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ का प्रमोशन
Video: सदाबहार देव आनंद का सफर
इस नौकरी की खास बात यह था कि उन्हें सैनिकों के खतों को पढ़ना होता था. अगर उनमें कोई आवांछित जानकारी है तो उसे सेंसर करना उनकी नौकरी का हिस्सा था. उन्होंने कुछ समय तक इस नौकरी को किया इसके बाद वे एकाउंटिंग फर्म से जुड़ गए और उन्होंने वहां भी क्लर्क की नौकरी की. देव आनंद को एक्टर बनने का शौक अशोक कुमार को देखकर पैदा हुआ. उन्होंने अशोक कुमार की ‘अछूत कन्या’ और ‘किस्मत’ देखी तो उसके बाद उन्होंने फैसला कर लिया कि वे एक्टर बनेंगे.
यह भी पढ़ेंः 'पद्मावती': शाहिद कपूर के लुक के लिए लगी है 22 कलाकार और 4 महीने की मेहनत...
इस तरह एक्टिंग में जाने का उनका मन बना तो वे प्रभात फिल्म्स के दफ्तर में जबरदस्ती घुस गए. वे स्टूडियो के लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल रहे. स्टूडियो के लोगों को उनकी मुस्कान, आंखें और आत्मविश्वास पसंद आया. इस तरह 1946 में उन्हें पहली फिल्म ‘हम एक हैं’ मिली और हिंदी सिने जगत को एक रोमांटिक हीरो मिल गया.
...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...
यह भी पढ़ेंः डांडिया में पहुंचा हिंदुस्तानी ठग, शुरू किया ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ का प्रमोशन
Video: सदाबहार देव आनंद का सफर
इस नौकरी की खास बात यह था कि उन्हें सैनिकों के खतों को पढ़ना होता था. अगर उनमें कोई आवांछित जानकारी है तो उसे सेंसर करना उनकी नौकरी का हिस्सा था. उन्होंने कुछ समय तक इस नौकरी को किया इसके बाद वे एकाउंटिंग फर्म से जुड़ गए और उन्होंने वहां भी क्लर्क की नौकरी की. देव आनंद को एक्टर बनने का शौक अशोक कुमार को देखकर पैदा हुआ. उन्होंने अशोक कुमार की ‘अछूत कन्या’ और ‘किस्मत’ देखी तो उसके बाद उन्होंने फैसला कर लिया कि वे एक्टर बनेंगे.
यह भी पढ़ेंः 'पद्मावती': शाहिद कपूर के लुक के लिए लगी है 22 कलाकार और 4 महीने की मेहनत...
इस तरह एक्टिंग में जाने का उनका मन बना तो वे प्रभात फिल्म्स के दफ्तर में जबरदस्ती घुस गए. वे स्टूडियो के लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल रहे. स्टूडियो के लोगों को उनकी मुस्कान, आंखें और आत्मविश्वास पसंद आया. इस तरह 1946 में उन्हें पहली फिल्म ‘हम एक हैं’ मिली और हिंदी सिने जगत को एक रोमांटिक हीरो मिल गया.
...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...