First Look 21 Sarfarosh Saragarhi 1897: अक्षय कुमार को TV के 'महादेव' मोहित रैना ने यूं किया चैलेंज
'बैटल ऑफ सारागढ़ी' की कहानी है बेहद खास?Feeling nothing but immense pride and gratitude while sharing this. Beginning my 2018 with #KESARI, my most ambitious film and a lot of passion. Need your best wishes as always @dharmamovies@iAmAzure @SinghAnurag79 pic.twitter.com/NOQ5x7FKRK
— Akshay Kumar (@akshaykumar) January 5, 2018
सारागढ़ी युद्ध 12 सितम्बर 1897 को ब्रिटिश भारतीय सेना और अफगानी सेना के बीच लड़ा गया था. यह युद्ध खैबर-पखतुन्खवा में हुआ था, जोकि अब पाकिस्तान में है. ब्रिटिश भारतीय सेना में सिख पलटन की चौथी बटालियन में 21 सिख थे, जिन पर 10 हजार अफगानी सैनिकों ने हमला किया था. इस बटालियन का नेतृत्व करने वाले हवलदार ईशर सिंह ने ऐसे मौके पर मरते दम तक लड़ने का फैसला लिया. इसे सैन्य इतिहास में इतिहास के सबसे महान अन्त वाले युद्धों में से एक माना जाता है. ब्रिटिश भारतीय सैनिक और अफगानी सैनिकों के बीच युद्ध के दो दिन बाद अन्य भारतीय सेना ने उस स्थान पर फिर से कब्जा जमा लिया था. सिख सैन्य कर्मियों द्वारा अब इस युद्ध की याद में 12 सितम्बर को सारागढ़ी दिवस के रूप में मनाते हैं.
फूलनदेवी के बाद अब सुल्ताना डाकू पर बनेगी फिल्म, ये एक्टर बनेगा दरियादिल डाकूUnveiling @SonsOfSardaar My tribute to Warriors of Saragarhi: A tale of Rage, of Love, of Bravery. #SonsOfSardaar pic.twitter.com/kjI44uCvzI
— Ajay Devgn (@ajaydevgn) July 29, 2016
ये थी शुरू से लेकर अंत तक की कहानी
सुबह 9 बजे लगभग 10 हजार अफगानी सेना सारागढ़ी पोस्ट पर पहुंचने का संकेत दिया. गुरमुख सिंह के अनुसार लोकहार्ट किले में कर्नल हौथटन को सूचना मिली की उनपर हमला हुआ है. कर्नल हौथटन के अनुसार सारागढ़ी में तुरन्त सहायता नहीं भेज सकते थे. सैनिकों ने अन्तिम सांस तक लड़ने का निर्णय लिया. भगवान सिंह सबसे पहले घायल हुये और लाल सिंह गम्भीर रूप से घायल हुये. सैनिक लाल सिंह और जिवा सिंह कथित तौर पर भगवान सिंह के शरीर को पोस्ट के अन्दर लेकर आये. दुश्मनों ने घेरे की दीवार के एक भाग को तोड़ दिया. कर्नल हौथटन ने संकेत दिया कि सारागढ़ी पर 10 हजार से 14 हजार अफगानियों ने हमला किया है.
अजय देवगन ने 'संस ऑफ सरदार' का पोस्टर जारी किया, कहा- यह फिल्म क्रोध, प्रेम, बहादुरी की कहानीIn 1897 21 #Sikhs fought 10,000+Afghans to last man last round #battleofsaragarhi 1 of greatest tales of courage led by Havildar Ishar Singh pic.twitter.com/kiAkkD9Ebc
— Randeep Hooda (@RandeepHooda) September 12, 2017
अफगान सेना कई बार भारतीय सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए लुभाता रहा. कथित तौर पर मुख्य द्वार को खोलने के लिए दो बार प्रयास किया गया लेकिन असफल रहे. उसके बाद दीवार टूट गयी और आमने-सामने की भयंकर लड़ाई हुई. बहादुरी दिखाते हुए ईशर सिंह ने अपने सैनिकों को पीछे की तरफ हटने का आदेश दिया जिससे लड़ाई को जारी रखा जा सके. हालांकि इसमें बाकी सभी सैनिक अन्दर की तरफ चले गये लेकिन एक पश्तों के साथ एक सैनिक मारा गया.
This is VERY IMPRESSIVE !!!@mohituraina 's first look from #21SarfaroshSaragarhi1897 pic.twitter.com/Bzu7fezqw9
— Girish Johar (@girishjohar) January 5, 2018
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गुरमुख सिंह, जो कर्नल हौथटन को साथ युद्ध समाचारों से अवगत करवा रहे थे, अन्तिम सिख रक्षक थे. पश्तों ने उसको मारने के लिए आग के गोलों से हमला किया. सारागढ़ी को तबाह करने के पश्चात अफगानों ने गुलिस्तां किले पर हमला करने के बाद 13-14 सितम्बर की रात को किले पर कब्जा कर लिया. इसके बाद पश्तों ने स्वीकार किया कि 21 सिखों के साथ युद्ध में उनके 180 सैनिक मारे गये और बहुत से सैनिक घायल हुये. वहीं बचाव दल को वहां 600 सैनिकों के शव मिले थे. हालांकि भारतीय सैनिकों ने इस किले पर दोबारा से कब्जा पा लिया था.
(नोट- यह कहानी इंटरनेट द्वारा मिले जानकारी व तथ्यों के आधार पर बताई गई है, इसमें हमारे तरफ से कुछ भी नहीं दिया गया)
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