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3 साल के लिए बैन हो गई थी बॉलीवुड की ये फिल्म, सच्ची घटना पर थी आधारित, बाद में देशभर में हुई थी तारीफ

अनुराग कश्यप की फिल्म ‘ब्लैक फ्राइडे’ 1993 के मुंबई बम धमाकों पर आधारित थी. इस फिल्म को सालों तक बैन किया गया क्योंकि इसमें दिखाया गया सच बेहद कड़वा था.

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नई दिल्ली:

हिंदी सिनेमा की बात होती है तो पहला ख्याल ये होता है कि फिल्मों का हकीकत से लेना देना नहीं होता. बस भरपूर मसाला और एंटरटेनमेंट के लिए बनती हैं फिल्में. लेकिन कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो रियलिटी पर इस कदर बेस्ड होती हैं कि उन्हें रिलीज करने से पहले भी सोचना पड़ता है. जब भी इंडियन सिनेमा में रियलिटी बेस्ड फिल्मों की बात होती है, ‘ब्लैक फ्राइडे' का नाम जरूर लिया जाता है. अनुराग कश्यप के डायरेक्शन में बनी ये फिल्म 1993 के मुंबई बम धमाकों पर आधारित है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये फिल्म सालों तक बैन रही थी? वजह थी कि इस फिल्म का सच बहुत कड़वा था. और, उस वक्त उसे दिखाने की हिम्मत बहुत कम लोगों में थी.

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कहानी जो सच के करीब थी

‘ब्लैक फ्राइडे' का आधार पत्रकार हुसैन जैदी की किताब Black Friday: The True Story of the Bombay Bomb Blasts थी. फिल्म 1993 में मुंबई में हुए बम धमाकों और उसके बाद हुई पुलिस जांच की कहानी दिखाती है. इसमें बताया गया है कि कैसे एक शहर दंगे, नफरत और साजिश की आग में जल उठा. फिल्म में पवन मल्होत्रा, के.के. मेनन, आदित्य श्रीवास्तव और काय कयाद का शानदार अभिनय देखने को मिलता है. अनुराग कश्यप ने फिल्म को डॉक्यूमेंट्री स्टाइल में शूट किया था. कैमरा शहर की सड़कों पर घूमता है. और, हर फ्रेम में हकीकत झलकती है. दर्शक को लगता है कि वो किसी फिल्म नहीं, बल्कि असली घटनाओं का हिस्सा देख रहा है.

बैन और फिर रिलीज की कहानी

फिल्म 2004 में बनकर तैयार थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसके रिलीज पर रोक लगा दी. वजह थी कि 1993 बम धमाकों का केस उस वक्त कोर्ट में चल रहा था. और फिल्म को सब ज्यूडिस माना गया. सरकार को डर था कि इससे केस पर असर पड़ सकता है. नतीजा ये हुआ कि ब्लैक फ्राइडे' पर लगभग तीन साल तक बैन लगा रहा. आखिरकार 2007 में जब अदालत ने फिल्म की रिलीज को मंजूरी दी. तो, देशभर में इसकी तारीफ हुई. लोगों ने इसे सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि एक दस्तावेज कहा जो उस दौर के मुंबई की सच्चाई बताता है.

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