हिंदी फिल्म इंड्स्ट्री में आशा पारेख का नाम बेहद जाना माना है. उनका दिल चुरा लेने वाला अंदाज और क्लासिकल डांस में महारथ. आशा पारेख ने जिस भी फिल्म में काम किया उनमें से अधिकांश हिट रहीं और कई तो सिल्वर जुबली मनाने में भी कामयाब रहीं. जिसके बाद से राजेंद्र कुमार की ही तरह आशा पारेख को भी जुबली स्टार कहा जाने लगा था. लेकिन इस मुकाम तक पहुंच कर ये तमगा हासिल करना आशा पारेख के लिए आसान नहीं रहा था. उन्हें रिजेक्शन भी झेलने पड़े और बहुत कम पैसों में काम भी करना पड़ा. क्या आप यकीन करेंगे कि दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड जीत चुकी इस अदाकारा को एक डायरेक्टर ने ये कह कर रिजेक्ट कर दिया था कि वो स्टार मटेरियल नहीं है.
आशा पारेख को झेलना पड़ा रिजेक्शन
इस बात का जिक्र खुद आशा पारेख ने एक इंटरव्यू में किया था. आशा पारेख ने बताया कि पहली फिल्म गूंज उठी शहनाई के लिए उन्हें 11 रु. का अमाउंट देकर साइन भी कर लिया गया. इसके बाद आशा पारेख को इस बात की खुशी भी होने लगी कि वो हीरोइन बनने वाली हैं. सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन अचानक एक दिन उन्हें फिल्म से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. डायरेक्टर विजय भट्ट ने उनसे कहा कि वो स्टार मटेरियल नहीं हैं. जिसके बाद आशा पारेख का खुद पर से ही यकीन उठ गया था.
नर्वस हो गई थीं आशा पारेख
इस एक वाक्ये का आशा पारेख पर ये असर हुआ कि वो दूसरी फिल्म का ऑडिशन देते वक्त बेहद नर्वस थीं. उनका दूसरा ऑडिशन नासिर हुसैन की फिल्म के लिए था. जिसमें मुकाबला साधना से था. एक बार रिजेक्शन झेल चुकी आशा पारेख को ये यकीन था कि इस बार भी किस्मत उनका साथ नहीं देगी. लेकिन किस्मत इस बार आशा पारेख की आशा को टूटने नहीं देना चाहती थीं. इस फिल्म के लिए साधना ऑडिशन देने पहुंची ही नहीं और आशा पारेख को शम्मी कपूर के साथ दिल देके देखो में काम करने का मौका मिल गया.
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