
हम सभी जानते हैं कि हमें यदि किसी चीज़ के प्रति रूचि है तो हम उसके प्रति और जानकारी इकठ्ठा करने लगते हैं कुछ ऐसा ही हाल अर्जुन कपूर का सिनेमा के प्रति उनकी रुचि ने उन्हें सिनेमा के और करीब कर दिया , सिनेमा के प्रति उनके नॉलेज ने सिनेमा प्रेमियों को चौका दिया है,और यही रिएक्शन इस समय इंटरनेट पर गूंज रहा है, जब लोगों ने एक ऐसे अर्जुन कपूर को देखा जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी. एक सच्चा फिल्मी दीवाना, एक फिल्म नर्ड, जो पॉइंट ब्रेक और तेजाब का ज़िक्र एक ही सांस में कर सकता है, वो भी जुनून और पैनी समझदारी के साथ.
हाल ही में वायरल हो रही एक खुली बातचीत में अर्जुन कपूर ने वही किया जो वो बखूबी करते हैं. फिल्मी बातों में दिल लगा दिया और पूरी तरह छा गए. ज्यादातर लोगों को वो टू स्टेट्स, कॉमिक फिल्म मुबारकां, लेटेस्ट सिंघम के विलेन और अंडररेटेड रत्न संदीप और पिंकी फरार जैसे रोल्स के लिए जानते हैं. लेकिन इस बार अर्जुन ने अपने अंदर के लेयर्स हटाए और उस फिल्ममेकर को सामने लाया जो हमेशा से उनके भीतर मौजूद था.
पता चला कि अर्जुन का सपना कभी सिर्फ एक स्टार बनने का नहीं था, बल्कि वो फिल्में बनाना चाहते थे. उन्होंने बताया कि जब उनके पिता रूप की रानी चोरो का राजा बना रहे थे, तब ही उनके भीतर ये चिंगारी जली. “सिनेमा का जादू ही मुझे आकर्षित करता है,” उन्होंने कहा. “हर चीज़ में लॉजिक होना ज़रूरी नहीं यकीन ही उस भ्रम को बेचता है. मुझे कोरियन फिल्में और यूरोपियन सिनेमा बहुत पसंद है. मैं फिल्ममेकर बनना चाहता था. RKRCKR उस समय की सबसे महंगी फिल्म थी. मैं मंत्रमुग्ध था और फिल्मों की खुशी मेरे साथ रह गई. मैं हमेशा फिल्म के बनने की प्रक्रिया जानना चाहता हूं और उसी में मुझे असली खुशी मिलती है.”
अर्जुन फिलहाल द डे ऑफ़ द जैकल देख रहे हैं जिसमें एडी रेडमेन हैं. उन्होंने टॉप गन सीरीज़ पर भी अपनी राय दी. जब उनसे पूछा गया कि उन्हें कौनसी पसंद है, तो उन्होंने कहा, "टोनी स्कॉट की फिल्म ओजी है. मुझे उनकी फिल्में बहुत पसंद हैं. फिर डेविड फिन्चर आए हमारे जीवन में, सेवन और फाइट क्लब जैसी फिल्मों के साथ."
लेकिन जो बात सबसे ज़्यादा दिल को छू गई, वो थी उनका भारतीय क्रिएटर्स को दिया गया प्यार और सम्मान. आर बल्कि और संजय लीला भंसाली से लेकर द फैमिली मैन और पंचायत के मेकर्स तक, अर्जुन ने उस देसी सिनेमा को सराहा जो दिल से बनता है और अक्सर नजरअंदाज हो जाता है. उन्होंने आजकल के ट्रेलर्स की भी आलोचना की जो बहुत कुछ पहले ही बता देते हैं, और तारीफ की उन ट्रेलर्स की जो सस्पेंस बनाए रखते हैं. जैसे पद्मावत, एनिमल, और बाजीराव मस्तानी के ट्रेलर्स.
"माइकल बे के ट्रेलर्स बेंचमार्क हैं. फिल्म के बेस्ट शॉट्स ट्रेलर में ही होते हैं. मैं ट्रेलर में फिल्म की एनर्जी महसूस करना चाहता हूं. एनिमल का टीजर और ट्रेलर बहुत दमदार था! पद्मावत का ट्रेलर खूबसूरत है. सिर्फ विजुअल्स दिखते हैं. वो डायरेक्टर का ट्रेलर है. पूरा 3 मिनट लंबा है. बाजीराव मस्तानी का ट्रेलर भी कमाल का था.”
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