माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले पर्वतारोही पार्थ उपाध्याय भारत की पहली इंडो-पोलिश ऎक्शन थ्रिलर बिग बजट फिल्म 'नो मीन्स नो' के बाद अब G7 फिल्म्स की अगली पेशकश 'द गुड महाराजा' में भी दुर्गम पहाड़ियों पर युद्ध के बेहतरीन सीन्स फिल्माने में निर्देशक विकाश वर्मा की टीम के साथ काम कर रहे हैं. परफेक्शन की बात है और जैसा कि परफेक्शनिस्ट डायरेक्टर विकाश वर्मा हमेशा मोती चुनते हैं, इस बार भी वो अपनी टीम में चैंपियन पर्वतारोही पार्थ उपाध्याय को ले कर आए हैं.
पार्थ को पर्वतारोहियों के बीच विशेष सम्मान प्राप्त है क्योंकि वो आठ हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाले कई पहाड़ों पर अपनी विजय पताका फहरा चुके हैं. उनकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि वो माउंट एवेरेस्ट का नार्थ फेस माने जाने वाले चीन की तरफ से खड़ी और कठिनतम चढ़ाई वाले रास्ते से चढ़े थे जो कि सामान्य रूट से और भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है. वहां एक साधारण फिसलन का मतलब निश्चित मौत मानी जाती है और वहीं पर ब्रिटेन के प्रसिद्ध पर्वतारोही जॉर्ज मैलोरी का भी मृत शरीर पाया गया था. फिर भी उन्होंने 23 मई, 2019 को माउंट एवेरेस्ट के इसी कठिनतम रास्ते से एवेरेस्ट की चोटी तक पहुंच कर विजय पताका फहराई.
पार्थ ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि उन्होंने और उनकी टीम ने फिल्म के हीरो ध्रुव के साथ मिलकर बहुत मेहनत की है. इस फिल्म में माउंटेनियरिंग, स्कीइंग जैसे एडवेंचर स्पोर्ट्स को सबसे प्रभावशाली तरीके से वो ला पाए. उन्होंने फिल्म के डायरेक्टर विकाश वर्मा की ऑब्जरवेशन स्किल्स की तारीफ की कि जिन बारीकियों के साथ उन्होंने एक-एक छोटी से छोटी चीज को परफेक्शन से फिल्माया है, वो खुद अचंभित रह गए थे और उसमें खो गए थे कि इस फिल्म में इतना खूबसूरत फिल्मांकन हुआ है. मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान की तरह फिल्म के हीरो ध्रुव ने कोई कसर ना छोड़ते हुए स्कीइंग की बकायदा प्रोफेशनल ट्रेनिंग पूरी की और एक्सपर्ट स्कीयर बने. पार्थ ने बताया कि अब वो इसी तरह का परफेक्शन और मेहनत विकाश वर्मा की अगली इंडो-पोलिश फिल्म 'द गुड महाराजा' के लिए भी करेंगे ताकि उसमें भी दर्शक पहाड़ों पर और समुद्र में युद्ध का सही अनुभव कर सकें.
फिल्म के डायरेक्टर विकाश वर्मा ने हर एक विधा के महारथियों की एक टीम बनायीं जिसमें पार्थ उपाध्याय के अलावा शामिल हुए डांस कोरियोग्राफी के लिए फिल्म ‘मिशन इम्पॉसिबल' के महान कोरियोग्राफर शाइमक डावर, एक्टिंग की बारीकियां सिखाने की ज़िम्मेदारी सम्भाली बॉलीवुड स्टार प्रीटी जिंटा ने, दिल छूने वाले गीत गाए श्रेया घोषाल ने और इस फिल्म में संगीत दिया है लीजेंडरी संगीतकार हरिहरन ने, जो अपने संगीत के जरिये दुनिया में एक अलग पहचान बना चुके हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि जब तापमान शून्य से 35 डिग्री नीचे गिरता है तो बर्फीले पहाड़ों की हड्डियां कंपा देने वाली सर्दी में शूटिंग करना कैसा लगता होगा? ऐसे में शूटिंग करना फिल्म के कलाकारों और डायरेक्टर दोनों के लिए बहुत मुश्किल था क्योंकि जहां ऐसी सर्दी में दस्ताने तक उतारने की हिम्मत नहीं होती, वहीं कलाकारों को अलग-अलग सीन्स के लिए बार-बार कपड़े बदलने पड़ते हैं और कई बार तो लटक कर सीन्स फिल्माने पड़ते हैं.
खतरनाक खाइयों के बीच में स्कीइंग करना या सीधी खड़ी चढ़ाई पर केवल हार्नेस के सपोर्ट से शॉट फिल्माना सिनेमेटोग्राफी का एक बड़ा चैलेंज होता है. ऐसे सीन्स परफेक्ट एंगल पर शूट हो पायें और विकाश वर्मा के साथ पूरी यूनिट सेफ भी रहे, इसको सुनिश्चित करने के लिए पार्थ ने बहुत काम किया और -35 डिग्री में कैसे जिया जाता है, इन सर्वाइवल टेक्नीक्स की पूरी जानकारी और ट्रेनिंग विकाश वर्मा की यूनिट को दी.
विकाश वर्मा की टीम का एक बहुत खास हिस्सा थे, फिल्म के हीरो ध्रुव वर्मा को हथियार और सेल्फ-डिफेंस की ट्रेनिंग देने वाले संजय दत्त और स्टीवेन सीगाल. गन्स की ट्रेनिंग के लिए संजय दत्त से बेहतर और कौन हो सकता है और मार्शल आर्ट्स में स्टीवेन सीगाल दुनिया के सबसे अच्छे एक्सपर्ट्स में से एक हैं. इस फिल्म की सबसे खास विशेषता हैं फिल्म के हीरो ध्रुव वर्मा, जो फिल्म के ज़बरदस्त एक्शन सीन्स की वजह से इंडियन जेम्स बॉन्ड के नाम से मशहूर हो चुके हैं. बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख़ खान इस फिल्म के ट्रेलर की बहुत तारीफ कर चुके हैं.
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