90 के दशक की शुरुआत में जब शाहरुख खान ने हिंदी सिनेमा में कदम रखा तो वह कई यंग और टैलेंटेड एक्टर्स में से एक थे. उनकी एनर्जी और स्क्रीन प्रेजेंस और हर तरह के किरदार के साथ एक्सपेरिमेंट करने की चाह उन्हें भीड़ से अलग करती थी. इसी तरह एक दिन किस्मत से उनकी झोली में डीडीएलजे यानी 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' आ गई. इस फिल्म ने उनके करियर को ऐसी रफ्तार दी इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक सुपरस्टार का टैग हासिल किया.
शाहरुख को नहीं मिलने वाली थी डीडीएलजे ?
यह 1995 की रिलीज 'दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे' थी जिसने शाहरुख को स्टारडम तक पहुंचाया. इस फिल्म की सक्सेस के बाद उन्हें दिल तो पागल है, कुछ कुछ होता है और मोहब्बतें में रोमांटिक रोल ऑफर हुई. इससे वह बॉलीवुड में नंबर वन स्टार के तौर पर और मजबूत हो गए. हालांकि डीडीएलजे में लीड रोल के लिए शुरू में आदित्य चोपड़ा के दिमाग में कोई और था. यह एक्टर थे टॉम क्रूज. दरअसल चोपड़ा ने डीडीएलजे की इमैजिनेशन एक अमेरिकी लड़के और एक भारतीय लड़की के बीच एक क्रॉस कल्चर लव स्टोरी के तौर पर की थी और वह लीड रोल के लिए टॉम क्रूज को लेने के लिए काफी एक्साइटेड थे. हालांकि जब यश चोपड़ा ने इस मामले में अपनी राय दी तो आदित्य को कहानी पर दोबारा काम करने को कहा. इस तरह उन्होंने अमेरिकी लड़के की जगह एनआरआई राज मल्होत्रा को फिट कर दिया.
शाहरुख ने DDLJ को कई बार किया रिजेक्ट
आदित्य चोपड़ा ने कहानी बदल दी लेकिन उसके बाद भी सब कुछ इतना आसान नहीं था. वो और उनके दोस्त और असिस्टेंट करन जौहर चाहते थे कि शाहरुख राज का रोल करे. वहीं शाहरुख को रोमांटिक फिल्में करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी. शाहरुख ने डॉक्यू सीरीज द रोमांटिक्स में भी कहा, "मैं एक एक्शन स्टार बनना चाहता था." वह आदित्य चोपड़ा और करन जौहर के साथ मीटिंग टालते रहे और कई बार ऑफर रिजेक्ट कर दिया. फिर यह यश चोपड़ा बीच में आए और शाहरुख को सलाह थी जिसने पूरी तस्वीर बदल दी.
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