किसी थीम को लेकर बनाई गई फिल्म का पहला उद्देश्य अपनी पटरी पर कायम रहना होता है. अगर थीम बेस्ड फिल्म भटक जाए तो पूरा मजा किरकिरा हो जाता है. ऐसा ही कुछ अभिषेक बच्चन, यामी गौतम और निमरत कौर की नेटफ्लिक्स फिल्म 'दसवीं' के साथ भी होता है. अभिषेक बच्चन के शानदार अभिनय के बावजूद फिल्म कमजोर कहानी और कॉन्सेप्ट की वजह से परीक्षा नतीजों में फेल हो जाती है. एक बार फिर ओटीटी पर रिलीज हुई बॉलीवुड फिल्म निराश करती है.
'दसवीं' की कहानी गंगाराम चौधरी की है. गंगाराम सीएम है और एकदम देसी अंदाज वाला. गंगाराम को स्कूल से ज्यादा मॉल कारगर लगता है. क्यों? क्योंकि उसका मानना है कि मॉल बनेगा तो माल मिलेगा. स्कूल बनेगा तो बेरोजगार मिलेगा. लेकिन शिक्षक भर्ती घोटाले में गंगाराम नप जाता है और जेल पहुंच जाता है. वह अपनी बीवी को सीएम बना देता है. फिर वह दसवीं पास करने का फैसला लेता है. जेल में सख्त जेलर यामी गौतम है और बाहर पत्नी की महत्वाकांक्षाएं. इस तरह कहानी में नएपन का घोर अभाव है. कहानी का कॉन्सेप्ट कहीं भी समझ में नहीं आता है. इस तरह 'दसवीं' की कहानी पूरी तरह लचर है. राइटर्स ने इस टॉपिक को लेकर अच्छे से रिसर्च नहीं की है. सिर्फ कुछ स्टीरियोटाइप लेकर कहानी रचने की कोशिश की, जो औंधे मुंह गिर जाती है. 'दसवीं' कहानी के मोर्चे पर पूरी तरह फेल हो जाती है. फिर डायरेक्शन भी भटका हुआ लगता है.
एक्टिंग की बात करें तो अभिषेक बच्चन छा गए हैं. उन्होंने अपने किरदार को पूरी शिद्दत से निभाया है. वह किरदार में पूरी तरह उतरे हैं, और उसकी बारिकियों को पूरी फिल्म में थामे भी रहते हैं. इस तरह कमजोर कहानी की कमी को अपनी एक्टिंग से पूरी करते नजर आते हैं. फिल्म में निमरत कौर और यामी गौतम ने भी अच्छा काम किया है. इस तरह ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई 'दसवीं' मनोरंजन और संदेश दोनों ही मोर्चों पर गच्चा खा जाती है.
रेटिंग: 2 स्टार
डायरेक्टर: तुषार जलोटा
कलाकार: अभिषेक बच्चन, यामी गौतम और निमरत कौर
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