नई दिल्ली:
‘भूमि’ संजय दत्त की कमबैक फिल्म है और इससे काफी उम्मीदें थीं. संजय दत्त ने अपना हिस्सा तो अच्छे ढंग से निभाया लेकिन कमजोर कहानी और डायरेक्शन ने उनका साथ नहीं दिया. विषय अच्छा था लेकिन डायरेक्टर उसे उस इंटेंसिटी के साथ नहीं दिखा सके, जैसा उन्हें करना चाहिए था. आइए हम बताते हैं वे पांच बातें जिनकी वजह से ‘भूमि’ हिलती हुई नजर आती हैः
कन्फ्यूज डायरेक्टर
संजय दत्त का फिल्म में सही से इस्तेमाल नहीं हो सका है. डायरेक्टर रियलिस्टिक और लार्जर दैन लाइफ सिनेमा के बीच में ही झूलते रहे. इस वजह से फिल्म में संजय दत्त को पूरे हाथ खोलने का मौका नहीं मिला. अगर फिल्म सिर्फ एक्शन होती तो संजू बाबा की यह फिल्म उन्हें बॉक्स ऑफिस का बाप बना देती.
रेप के बाद सनी लियोन का गाना
फिल्म रेप जैसे विषय पर थी, और कहानी भी रेप को लेकर चल रही थी. लेकिन एक गंभीर सीन के बाद सनी लियोन का गाना आ जाता है. यहां भी डायरेक्टर इंटेंस कहानी को मुंबइया फिल्म ही बना बैठे, हैरानी होती है डायरेक्टर की सोच पर.
पकाऊ कॉमेडी
फिल्म शेखर में सुमन को माहौल को हल्का करने के लिए रखा गया है, लेकिन उनकी कॉमेडी बहुत ही पकाऊ थी और वे बहुत ज्यादा जोर देते नजर आते हैं. उनके जोक्स और मजाक बिल्कुल भी स्वाभाविक नहीं लगते हैं. ऐसा लगता है, जैसे वे यह सब जबरदस्ती रहे हैं.
श्राद्ध का चक्कर
फिल्म में माता रानी का गाना है, जाहिर है फिल्म नवरात्रि में रिलीज हो रही है. इसके साथ ही श्राद्ध को भी इसमें डाला गया है. धौली कहता है कि वह श्राद्ध में हथियार नहीं उठाता. उसके भाई मर जाते हैं, लेकिन वह श्राद्ध खत्म होने का इंतजार करता रहता है. हो सकता है ऐसा होता हो लेकिन यह बात कुछ हजम नहीं होती.
कोर्ट में बचकानी बातें
कोर्ट में जब लेडी वकील भूमि से कहती है कि तुम्हें रेपिस्ट्स ने कहां-कहां छुआ तो थोड़ा अजीब लगता है क्योंकि इस तरह के सीन कई बार देखे जा चुके हैं. कोर्टरूम सीन एकदम बचकाना हो जाता है. संजय दत्त भी जज के सामने अपना पक्ष रखने लगते हैं. सब कुछ मेलोड्रामा होकर रह जाता है. ऐसा लगता है फिल्म बहुत हड़बड़ी में बनाई गई है.
VIDEO: 'हसीना पारकर' की टीम से विशेष बातचीत
...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...
कन्फ्यूज डायरेक्टर
संजय दत्त का फिल्म में सही से इस्तेमाल नहीं हो सका है. डायरेक्टर रियलिस्टिक और लार्जर दैन लाइफ सिनेमा के बीच में ही झूलते रहे. इस वजह से फिल्म में संजय दत्त को पूरे हाथ खोलने का मौका नहीं मिला. अगर फिल्म सिर्फ एक्शन होती तो संजू बाबा की यह फिल्म उन्हें बॉक्स ऑफिस का बाप बना देती.
रेप के बाद सनी लियोन का गाना
फिल्म रेप जैसे विषय पर थी, और कहानी भी रेप को लेकर चल रही थी. लेकिन एक गंभीर सीन के बाद सनी लियोन का गाना आ जाता है. यहां भी डायरेक्टर इंटेंस कहानी को मुंबइया फिल्म ही बना बैठे, हैरानी होती है डायरेक्टर की सोच पर.
पकाऊ कॉमेडी
फिल्म शेखर में सुमन को माहौल को हल्का करने के लिए रखा गया है, लेकिन उनकी कॉमेडी बहुत ही पकाऊ थी और वे बहुत ज्यादा जोर देते नजर आते हैं. उनके जोक्स और मजाक बिल्कुल भी स्वाभाविक नहीं लगते हैं. ऐसा लगता है, जैसे वे यह सब जबरदस्ती रहे हैं.
श्राद्ध का चक्कर
फिल्म में माता रानी का गाना है, जाहिर है फिल्म नवरात्रि में रिलीज हो रही है. इसके साथ ही श्राद्ध को भी इसमें डाला गया है. धौली कहता है कि वह श्राद्ध में हथियार नहीं उठाता. उसके भाई मर जाते हैं, लेकिन वह श्राद्ध खत्म होने का इंतजार करता रहता है. हो सकता है ऐसा होता हो लेकिन यह बात कुछ हजम नहीं होती.
कोर्ट में बचकानी बातें
कोर्ट में जब लेडी वकील भूमि से कहती है कि तुम्हें रेपिस्ट्स ने कहां-कहां छुआ तो थोड़ा अजीब लगता है क्योंकि इस तरह के सीन कई बार देखे जा चुके हैं. कोर्टरूम सीन एकदम बचकाना हो जाता है. संजय दत्त भी जज के सामने अपना पक्ष रखने लगते हैं. सब कुछ मेलोड्रामा होकर रह जाता है. ऐसा लगता है फिल्म बहुत हड़बड़ी में बनाई गई है.
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