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बॉलीवुड की वो 10 फिल्में जिनका विदेश में रहा है जमकर क्रेज, पांचवीं ने कान फिल्म फेस्टिवल में जीता पुरस्कार

राज कपूर से लेकर नरगिस और दिलीप कुमार जैसे सितारों की फिल्मों में विदेशों में भी खूब देखी गईं और कान फिल्म फेस्टिवल से लेकर ऑस्कर तक में शिरकत की.

बॉलीवुड की वो 10 फिल्में जिनका विदेश में रहा है जमकर क्रेज, पांचवीं ने कान फिल्म फेस्टिवल में जीता पुरस्कार
विदेशों में रहा इन फिल्मों का जलवा
नई दिल्ली:

बॉलीवुड का स्वर्ण युग (1940-1960) भारतीय सिनेमा का वह सुनहरा दौर था, जब फिल्मों ने सामाजिक संदेश, इमोशनल टच और शानदार संगीत के माध्यम से ना सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर के दर्शकों के दिलों पर राज किया. इन फिल्मों ने भारतीय संस्कृति और कहानियों को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई. राज कपूर से लेकर नरगिस और दिलीप कुमार जैसे सितारों की फिल्मों में विदेशों में भी खूब देखी गईं और कान फिल्म फेस्टिवल से लेकर ऑस्कर तक में शिरकत की. यहां उन 10 फिल्मों की सूची दी गई है, जो विदेशों में भी खूब लोकप्रिय हुई हैं. 

1.  मदर इंडिया (1957) - महबूब खान की यह फिल्म एक मां के संघर्ष की कहानी है. नरगिस का अभिनय और सामाजिक संदेश इसे रूस, मध्य पूर्व (संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब) और अफ्रीकी देशों (नाइजीरिया, घाना) में लोकप्रिय बनाया. यह ऑस्कर के लिए नामांकित हुई.

2.  मुगल-ए-आजम (1960) - के. आसिफ की इस भव्य प्रेम कहानी में दिलीप कुमार और मधुबाला की जोड़ी ने अमेरिका, यूके और मध्य पूर्व (कुवैत, कतर) में दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया. गीत “प्यार किया तो डरना क्या” ग्लोबल हिट रहा. 

3.  आवारा (1951) - राज कपूर की यह फिल्म एक युवक के सामाजिक संघर्ष को दर्शाती है. सोवियत संघ, तुर्की और चीन में यह अत्यंत लोकप्रिय रही. 'आवारा हूं' गाने का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया.

4.  श्री 420 (1955) - राज कपूर की यह फिल्म नैतिकता और भ्रष्टाचार के बीच की कहानी को दिखाती है. सोवियत संघ, रोमानिया और पोलैंड जैसे पूर्वी यूरोपीय देशों में इसे खूब सराहा गया.

5.  दो बीघा जमीन (1953) - बिमल रॉय की यह यथार्थवादी फिल्म एक किसान के संघर्ष को दर्शाती है। फ्रांस (कान फिल्म फेस्टिवल), इटली और जर्मनी में इसने पुरस्कार जीते और प्रशंसा बटोरी.

6.  प्यासा (1957) - गुरु दत्त की यह फिल्म एक कवि की भावनात्मक कहानी है.फ्रांस, यूके और जापान में इसके गीत और कहानी को खूब सराहा गया.

7.  कागज के फूल (1959) - गुरु दत्त की इस ट्रैजिक कहानी ने सिनेमा उद्योग के उतार-चढ़ाव को दिखाया. फ्रांस, अमेरिका और कनाडा के सिनेमाई हलकों में इसे क्लासिक माना गया.

8.  नील कमल (1947) - किदार शर्मा की इस फिल्म में राज कपूर और मधुबाला की केमिस्ट्री ने सोवियत संघ और मिस्र में दर्शकों को आकर्षित किया. इसका संगीत भी लोकप्रिय रहा.

9.  बरसात (1949) - राज कपूर की इस रोमांटिक फिल्म ने सोवियत संघ, तुर्की और ईरान में भारतीय प्रेम कहानियों को लोकप्रिय बनाया. गीत 'बरसात में हमसे मिले तुम' हिट रहा.

10.  अनाड़ी (1959) - ऋषिकेश मुखर्जी की इस फिल्म में राज कपूर और नूतन की सादगी ने यूके, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर में दर्शकों का दिल जीता.

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