• होम
  • ज्योतिष
  • Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में गजकेसरी समेत बनेंगे कई शुभ योग, सर्वपितृ अमावस्या पर मिलेगा विशेष लाभ

Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में गजकेसरी समेत बनेंगे कई शुभ योग, सर्वपितृ अमावस्या पर मिलेगा विशेष लाभ

​​​​​​​Pitru Paksha 2025: जिस पितृपक्ष को हिंदू धर्म में पितरों की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना गया है, उसकी शुरुआत 07 सितंबर से हो चुकी है. ज्योतिष की दृष्टि से इस साल पितृपक्ष में कौन से योग बन रहे हैं, जिनके कारण यह और भी ज्यादा फलदायी हो गया है, जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

Posted by Updated : September 09, 2025 1:20 PM IST
Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में गजकेसरी समेत बनेंगे कई शुभ योग, सर्वपितृ अमावस्या पर मिलेगा विशेष लाभ
​​​​​​​Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष का धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व
FacebookTwitterWhatsAppInstagramLinkedinKoos

Pitru Paksha 2025: पितरों के लिए समर्पित पितृ पक्ष, महालय या फिर कहें श्राद्ध पक्ष की शुरुआत 7 सितम्बर से हो चुकी है और इसका समापन 21 सितम्बर को होगा. हिंदू परंपरा में पितृ पक्ष को पूर्वजों के श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान का सबसे पवित्र समय माना जाता है. इस अवधि में किए गए कर्म से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है. ज्योतिष की दृष्टि से इस साल पितृपक्ष में कई योग बनने जा रहे हैं, जिसके कारण इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है.

गजकेसरी योग का निर्माण

इस बार पितृ पक्ष के बीच 14 सितम्बर को चंद्रमा मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे. यहाँ पहले से ही देवगुरु बृहस्पति मौजूद हैं. चंद्रमा और गुरु की युति से गजकेसरी राजयोग बनेगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह योग अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है. गजकेसरी योग से बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है, मान-सम्मान बढ़ता है और आर्थिक पक्ष मजबूत होता है.

गणेशजी कहते हैं कि इस योग का असर सभी राशियों पर पड़ेगा, लेकिन कुछ राशियों को विशेष लाभ मिलेगा. नौकरी और कारोबार में उन्नति के अवसर आएँगे. विद्यार्थियों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों के लिए भी यह समय शुभ रहेगा.

सर्वपितृ अमावस्या का महत्व

पितृ पक्ष का अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या कहलाता है, जो इस बार 21 सितम्बर 2025 को पड़ रही है. मान्यता है कि इस दिन किए गए श्राद्ध और तर्पण से सभी पितृ तृप्त होकर अपने लोक लौट जाते हैं. इतना ही नहीं, इस दिन किए गए कर्म से तीन पीढ़ियों तक के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

इसके अगले दिन से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है, इसलिए यह दिन धार्मिक दृष्टि से और भी महत्वपूर्ण हो जाता है.

अमावस्या का काल और तर्पण मुहूर्त

ज्योतिष गणना के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या 21 सितम्बर की रात 12:16 बजे से शुरू होकर 22 सितम्बर की रात 1:23 बजे तक रहेगी.

● तर्पण का शुभ मुहूर्त: पूर्वाह्न 11:50 से दोपहर 12:38 बजे तक

● पिंडदान और तर्पण का मुहूर्त: दोपहर 1:27 से 3:53 बजे तक

इन समयों में किया गया श्राद्ध और तर्पण विशेष फलदायी माना गया है.

बन रहे कई शुभ योग

इस सर्वपितृ अमावस्या पर केवल गजकेसरी योग ही नहीं, बल्कि अन्य शुभ संयोग भी बन रहे हैं.

● शाम 7:52 बजे से शुभ योग का आरंभ होगा.

● इसके बाद शुक्ल योग का निर्माण होगा.

● साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी इस दिन बन रहा है.

● इसके अलावा शिववास योग और अन्य मंगलकारी योग इस दिन को और अधिक पवित्र बना देंगे.

निष्कर्ष

पितृ पक्ष में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना परिवार के लिए अत्यंत लाभकारी है. विशेषकर इस बार जब गजकेसरी योग और अन्य शुभ संयोग बन रहे हैं, तो इन दिनों में किए गए कर्म से पितरों को तृप्ति और संतानों को समृद्धि प्राप्त होगी. सर्वपितृ अमावस्या पर यदि श्रद्धापूर्वक अनुष्ठान किए जाएँ तो जीवन से पितृ दोष समाप्त होकर पितरों की कृपा हमेशा बनी रहती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)