छत्तीसगढ़ की राजनीति के सबसे चुलबुले नेता कवासी लखमा अपने अलग अंदाज के लिए सबसे ज़्यादा चर्चा में रहते हैं. वह 6 बार विधायक चुने गए हैं. इन्हें क्षेत्र के लोग 'लखमा दादी' के नाम से जानते हैं.
कवासी लखमा का जन्म साल 1953 में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के छोटे-से गांव नागारास में हुआ था. पिता किसान थे. गरीबी और अभावों के चलते लखमा पढ़ाई नहीं कर सके.
इनका सियासी सफर पार्षद के तौर पर शुरू हुआ था. भूपेश कैबिनेट में वह इकलौते अनपढ़ मंत्री रहे हैं. उन्हें आबकारी मंत्री बनाया गया था. लखमा साल 1991 में सोनाकूकानार के सरपंच चुने गए थे.
लखमा बैलों की खरीद-बिक्री के लिए गांव से बाहर जाया करते थे, और इसी के चलते वह वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरविंद नेताम के संपर्क में आए. इसके बाद उन्हें 1998 में कोंटा विधानसभा से टिकट दिया गया और पहली ही बार में जीत दर्ज की.
कवासी लखमा के 2 पुत्र और 2 पुत्रियां हैं. इनका एक पुत्र युवा नेता है और सुकमा जिला पंचायत अध्यक्ष है. लखमा अपने अलग अंदाज़ के लिए हमेशा सुर्ख़ियों में रहते हैं.
साक्षर
कांग्रेस
विवाहित
श्रीमती कवासी बुधरी
2 पुत्र, 2 पुत्री
नागारास, जिला सुकमा, छत्तीसगढ़