Vande Bharat Sleeper Train: भारतीय रेलवे की नई वंदे भारत स्लीपर ट्रेन ने ट्रायल रन के दौरान 180 किमी प्रति घंटे की टॉप स्पीड हासिल कर इतिहास रच दिया. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. यह ट्रायल सवाई माधोपुर–कोटा–नागदा सेक्शन पर किया गया, जिसे वेस्ट सेंट्रल रेलवे डिवीजन ने संचालित किया. यह ट्रेन BEML (भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड) द्वारा ICF (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री) तकनीक से तैयार की गई है और लंबी दूरी की यात्राओं के लिए डिज़ाइन की गई है.
वहीं दूसरी तरफ ये वीडियो एक और दिलचस्प वजह से भी लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा है. इस वीडियो को लोको पायलट के केबिन से बनाया गया है. वीडियो में दिखाया गया है कि जब वंदे भारत स्लीपर ट्रेन ट्रायल के दौरान 180 की स्पीड से पटरियों पर दौड़ रही थी, तब लोको पायलट केबिन में मौजूद कर्मचारी इसका वीडियो बना रहा होता है. ट्रेन के केबिन में स्पीडोमीटर के ठीक सामने पानी की 3 गिलास रखी होती है. जिसमें पानी भरा होता है. लेकिन 180 की रफ्तार में ट्रेन के दौड़ने के बावजूद भी एक बूंद भी पानी का छलकता नहीं है. वीडियो में आप देखेंगे कि ट्रेन की स्पीड को कर्मचारी स्पीडोमीटर में भी दिखाता है.
स्पीडोमीटर में 0-200 तक की स्पीड है और वीडियो की रिकॉर्डिंग के दौरान, रफ्तार का कांटा 180 पर होता है. इस रफ्तार में भी ट्रेन के अंदर रखे पानी के तीनों ग्लास से ज़रा भी हिलते नहीं हैं. करीब 27 सेकंड की यह फुटेज अब इंटरनेट पर वायरल हो रही है.
देखें Video:
‘मिशन गति शक्ति' के तहत बड़ा कदम
यह हाई-स्पीड ट्रायल RDSO (Research Designs and Standards Organization) की टीम द्वारा किया गया. वेस्ट सेंट्रल रेलवे ने बताया, “यह टेस्ट भारतीय रेलवे के ‘मिशन गति शक्ति' के तहत गति और दक्षता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह उपलब्धि न केवल रेलवे की तकनीकी क्षमता को दर्शाती है बल्कि भविष्य की सुपरफास्ट स्लीपर ट्रेनों के लिए एक नया मानक भी तय करती है.
सोशल मीडिया पर मिली मिली-जुली प्रतिक्रिया
रेलवे के इस वीडियो पर सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने अपनी राय दी. कुछ ने तारीफ करते हुए लिखा- यह एक बड़ी उपलब्धि है. बधाई. फिर भी, कृपया यात्रियों की सुरक्षा पर पूरा ध्यान दें. दूसरे ने कहा कि यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि गिलासों में रखा पानी बाहर नहीं गिरा. तो वहीं कुछ यूजर्स ने वीडियो पर तंज भी कसा. एक यूजर ने लिखा- “काश ये ट्रेनें रेगुलर सर्विस में भी इतनी स्पीड पकड़तीं.” दूसरे ने कहा - “पहले लागू कीजिए, ट्रायल से क्या होगा?” कुछ ने चिंता जताई कि क्या ट्रेन के पैनल वॉटरप्रूफ हैं, जबकि अन्य ने इसे “भारत की प्रगति की दिशा में कदम” बताया.
लॉन्च में हुई देरी, डिजाइन और सेफ्टी कारण बने बाधा
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन को मूल रूप से अक्टूबर में लॉन्च किया जाना था, लेकिन डिजाइन और सुरक्षा संबंधी चुनौतियों के चलते इसमें देरी हुई. रेलवे बोर्ड ने बताया कि “बर्थ एरिया में शार्प एज, पर्दों के हैंडल और सफाई से जुड़ी कुछ कमियां” सुधार की प्रक्रिया में हैं.
ट्रेन की संरचना और फीचर्स
इस ट्रेन में 16 कोच हैं —
• 11 कोच AC थ्री-टियर
• 4 कोच AC टू-टियर
• 1 कोच AC फर्स्ट क्लास
कुल 823 स्लीपिंग बर्थ्स हैं- जिनमें 611 थ्री-टियर, 188 टू-टियर और 24 फर्स्ट-क्लास बर्थ्स शामिल हैं.
लग्जरी और सुरक्षा फीचर्स
फर्स्ट AC कोच में हॉट शॉवर, मॉडर्न इंटीरियर्स और लग्जरी सुविधाएं दी गई हैं. सभी कोच में रीडिंग लाइट्स, USB चार्जिंग पोर्ट, डिस्प्ले पैनल, CCTV कैमरे और मॉड्यूलर पैंट्री मौजूद हैं. इसके अलावा, कवच 4.0 (Kavach 4.0), फायर सेफ्टी सिस्टम, और सेंसर-बेस्ड डोर सिस्टम जैसी सुविधाएं भी जोड़ी गई हैं. ट्रेन में दिव्यांग यात्रियों के लिए विशेष बर्थ और टॉयलेट डिज़ाइन किए गए हैं.
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