Weight Loss Transformation: लोगों ने कहा कि, 'अब रिटायरमेंट ले लो…पेंशन का टाइम आ गया है.' ऐसी बातें किसी का भी दिल तोड़ दें, लेकिन कुछ लोग होते हैं जो टूटते नहीं...खुद को फिर से गढ़ लेते हैं और ऐसी ही कहानी है रायपुर की डॉक्टर सुषमा पचौरी की. एक मां, जिसने चार मिसकैरेज और 93 किलो वजन का दुख झेला, लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी. वजन 93 किलो पहुंच गया, जिंदगी थम सी गई...पर उन्होंने खुद को थमने नहीं दिया और आज लाखों महिलाओं के लिए इंस्पिरेशन बन चुकी है. सुषमा पचौरी की जर्नी साबित करती है कि, हौंसला हो तो हर शरीर, हर जिंदगी दोबारा गढ़ी जा सकती है.
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कोशिशों से स्ट्रॉन्ग बनने तक की कहानी (Weight Loss Journey)
डॉ. सुषमा पचौरी कभी असिस्टेंट प्रोफेसर थीं. चार बार मिसकैरेज और पांचवीं प्रेग्नेंसी में लगातार 6 महीने ब्लीडिंग. डॉक्टरों ने साफ बोल दिया था, 'दोनों की जान को खतरा हो सकता है', लेकिन सुषमा ने हिम्मत नहीं छोड़ी.
2007 में बेटा पैदा हुआ, लेकिन इसी दौरान लगातार हार्मोनल इंजेक्शन्स ने उनका वजन 93 किलो तक पहुंचा दिया.
फिर एक दिन, भाई की एक लाइन ने उनकी दुनिया हिला दी...'तू मुझसे छोटी है, पर बड़ी दिखती है.' बस…वही दिन उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बन गया.
93 किलो से 59 किलो तक का सफर (weight loss inspiration)
शुरुआत में वो जिम में सिर्फ ट्रेडमिल पर दौड़ती थीं...ना कोई डाइट, ना वेट ट्रेनिंग, फिर उन्होंने एक फिटनेस कोच हायर किया और यहीं से उनकी असली जर्नी शुरू हुई.
- घर का बनाया खाना.
- चाय-थेपला नाश्ता.
- दाल, चावल, दही, सलाद.
- स्नैक्स में मखाने.
- बाद में डाइट में प्रोटीन की कमी पूरी की..सोया, पनीर से.
- धीरे-धीरे वजन 93 किलो से 59 किलो पर आ गया.
डिप्रेशन, हादसा और फिर कमबैक (fat to fit transformation journey)
2019 में एक हादसे ने उन्हें डिप्रेशन में धकेल दिया. दिन में 15 कप चाय और 10 किलो वजन दोबारा बढ़ गया, पर वो टूटी नहीं. अब लोग उन्हें देखकर मोटिवेट होते हैं और उनकी मेहनत साफ नजर आती है. उन्होंने दोबारा जर्नी शुरू की है. यहां तक कि अब वो बॉडीबिल्डिंग प्रतियोगिता तक में हिस्सा ले रही हैं.
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