बॉस पर भारी पड़ा सीनियर कर्मचारी, 'डिमोशन' करने पर कंपनी पर किया केस, जीते 25 लाख रुपये

कर्मचारी ने खुद के साथ हुए इस 'अपमान' को ना सहते हुए रोजगार न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया. न्यायाधिकरण में कर्मचारी और कंपनी आमने-सामने आ गए और फिर फैसला कर्मचारी के पक्ष में गया.

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बॉस पर भारी पड़ा सीनियर कर्मचारी, डिमोशन करने पर कंपनी पर किया केस

यूके में एक कर्मचारी ने कंपनी के खिलाफ केस दर्ज किया और अपना मजबूत पक्ष रखकर उसे जीत भी लिया. कर्मचारी को केस जीतने पर कंपनी से 25 लाख रुपये मिले. द इंडिपेंडेंट के अनुसार, एक कंपनी ने 53 साल के सीनियर एस्टेट एजेंट निकोलस वॉकर को 'निम्न दर्जे' का कर्मचारी बना दिया था. कर्मचारी ने खुद के साथ हुए इस 'अपमान' को ना सहते हुए रोजगार न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया. न्यायाधिकरण में कर्मचारी और कंपनी आमने-सामने आ गए और फिर फैसला कर्मचारी के पक्ष में गया.

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कर्मचारी ने कंपनी को कोर्ट में घसीटा (UK Man Bags Rs 25 Lakh After Suing Boss)
रोजगार न्यायाधिकरण ने इस केस पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि सीनियर कर्मचारी को 'निम्न दर्जे' के डेस्क पर नियुक्त करना एक तरह से उनकी बर्खास्तगी के बराबर है. जज ने कहा, सीनियर कर्मचारी के डेस्क चेंज को डिमोशन की श्रेणी में ही रखा जाएगा. गौरतलब है कि वॉकर साल 2015 से हर्टफोर्डशायर स्थित रॉबसन्स एस्टेट एजेंसी में काम कर रहे थे और इसकी रिकमांसवर्थ और चोर्लीवुड दो ब्रांच को मैनेज करते थे. निकोलस ने 'निम्न दर्जे' के कर्मचारी का ओहदा मिलने के बाद खुद को अपमानित महसूस किया और इस्तीफा दे दिया था.

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कर्मचारी ने पहले की थी शिकायत  (UK Man Suing Boss Over Low Status Office Desk)

निकोलस वॉकर का मानना था कि इस तरह उनके ओहदे को कम करने का मतलब डिमोशन करना ही है, क्योंकि उन्हें जूनियर कर्मचारियों के पास एक बैक डेस्क सौंपा गया था. जब निकोलस ने इसके बारे में सेल्स डायरेक्टर डेनियल यंग से बात की तो उन्होंने कहा, 'मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि 'आपकी उम्र का एक आदमी' एक डेस्क को लेकर इतना हंगामा कर सकता है'. इसके बाद निकोलस ने अंजाम के बारे में ना सोचते हुए सीधे इस्तीफा दे दिया.

रिपोर्ट्स के अनुसार, जब उन्होंने अपना इस्तीफा वापस लेने की कोशिश की, तो यंग ने कोई जवाब नहीं दिया और इस्तीफे की तारीख को आगे बढ़ा दिया. यह ऐतिहासिक फैसला वर्कप्लेस पर कर्मचारियों के सम्मान और उनके पद की स्थिति के महत्व को दर्शाता है. इस फैसले से कंपनी में उन मामूली बदलावों को भी चुनौती मिलेगी, जिससे कर्मचारियों की सीनियरिटी और गरिमा का हनन होता है.

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