'सिल्वर पॉम्फ्रेट' को महाराष्ट्र सरकार ने राज्य मछली घोषित किया, दुर्लभ मछली को बचाने की कोशिश

मछुआरों को पहले की तुलना में अब बहुत ही कम मछली मिलती है. एक मछुआरे ने जानकारी देते हुए कहा कि पहले एक बार में 4-5 किलो मछली आ जाती थी, मगर अब 1 किलो मछली मिलना भी मुश्किल है. मछुआरों का मानना है कि सिल्वर पॉम्फ्रेट को राज्य मछली का दर्जा मिलने के बाद इस प्रजाति की रक्षा करने में बड़ी मदद मिलेगी. 

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सिल्वर पॉम्फ्रेट मछली को महाराष्ट्र में राज्य मछली घोषित किया गया है. इसके पीछे कहानी ये है कि अब ये मछली दुर्लभ होती जा रही है. महाराष्ट्र में काफी प्रसिद्ध मछली है. इसकी संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने ये निर्ण लिया है. यह घोषणा महाराष्ट्र के मत्स्य पालन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने की है. अपने फैसले पर मत्स्य पालन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि, ‘'सिल्वर पॉम्फ्रेट को राज्य मछली घोषित कर रहे हैं. यह हमने फैसला किया है. इस निर्णय से महाराष्ट्र में सिल्वर पॉम्फ्रेट के संरक्षण और उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिलेगी''

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जानकारी के मुताबिक, पॉम्फ्रेट राज्य से सबसे ज़्यादा निर्यात की जाने वाली मछली है. हालांकि, सन 1980 के बाद से इसके उत्पादन में 50 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई है, इसलिए यह मछली दुर्लभ होती जा रही है.

मछुआरों को पहले की तुलना में अब बहुत ही कम मछली मिलती है. एक मछुआरे ने जानकारी देते हुए कहा कि पहले एक बार में 4-5 किलो मछली आ जाती थी, मगर अब 1 किलो मछली मिलना भी मुश्किल है. मछुआरों का मानना है कि सिल्वर पॉम्फ्रेट को राज्य मछली का दर्जा मिलने के बाद इस प्रजाति की रक्षा करने में बड़ी मदद मिलेगी. 

सिल्वर पॉम्फ़्रेट के उत्पादन में गिरावट की खास वजह बढ़ता प्रदूषण, पूर्ण परिपक्वता और प्रजनन आयु तक पहुंचने से पहले ही मछली पकड़ लेना है. नए फैसले से अब इस मछली के सफल प्रजनन को सुनिश्चित करने, संरक्षण और सतर्क निगरानी जैसे फैसलों को अहमियत मिलेगी.

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