इंटरनेट (Internet) ने हमारी दुनिया बड़ी तेजी से बदली है, इसका सबसे ज्यादा असर लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर हुआ है. पहले जो काम करने के लिए खूब घंटों मशक्कत करनी पड़ती थी. अब वो चंद मिनटों में फोन के सहारे हो जाते हैं. यूं तो हमने सड़क किनारे या बस स्टॉप और रेलवे स्टेशन (Railway Staion) पर बहुत से भिखारियों को भीख मांगते देखा होगा. इन भिखारी के भीख मांगने पर हम हमेशा ये कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं कि अभी उनके पास छुट्टे पैसे नहीं है. लेकिन देश में एक भिखारी इसलिए सुर्खियां बटोर रहा है क्योंकि उसके सामने ये बहाना किसी काम का नहीं.
असल में हम यहां जिस भिखारी की बात कर रहे हैं वो डिजिटल (Digital) तकनीक के दौर में खुद हाईटेक हो गए हैं. दरअसल ये भिखारी डिजिटल तरीके से भीख मांगकर गुजारा कर रहा है. अब भले ही सुनने में थोड़ा आश्चर्य लगे लेकिन छिंदवाड़ा में एक शख्स डिजिटल तकनीक से भीख मांग कर अपना गुजारा कर रहा है. छिंदवाड़ा शहर की गलियों में हेमंत सूर्यवंशी नाम का शख्स अपने हाथ में डिजिटल लेनदेन (Digtal Payment) का बार कोड लेकर लोगों से भीख मांग कर अपना गुजारा कर रहा है.
आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि जैसे ही वह किसी व्यक्ति के पास पैसे मांगने पहुंचता है और सामने वाला व्यक्ति यदि छुट्टी ना होने का बहाना बनाने लगता है तो तत्काल यह अपना डिजिटल बार कोड दिखाकर उनसे पैसे ट्रांसफर करा लेता है. हेमंत का भीख मांगने का अंदाज भी निराला है. वह कहता है- कि बाबूजी चिल्लर नहीं है तो फोन पे (Phone Pay) या गूगल पे (Google Pay) से भीख दे दो. भिखारी का कहना है कि लोग डिजिटल तकनीक के चलते भीख भी आसानी से बारकोड स्कैन कर दे देते हैं. इस तरह उसे अक्सर ₹5 से ज्यादा ही पैसे मिलते हैं.
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दरअसल हेमंत सूर्यवंशी मूल रूप से पहले नगर पालिका परिषद में कार्यरत था लेकिन किसी कारणवश उसे नौकरी से हटा दिया गया. नौकरी जाने के गम में वहां लगातार इधर उधर भटकते रहा बाद में वहां अब भीख मांग कर अपना गुजारा कर रहा है. हाथ में मोबाइल फोन और वारकोड लेकर इधर उधर भटक रहा हेमंत भले ही भीख मांग कर अपना गुजारा कर रहा है लेकिन वह डिजिटल तकनीक कभी खूब प्रचार कर रहा है.