आप और हम में से कई लोग होंगे, जो अपने मोबाइल फोन से 10 मिनट भी दूर नहीं रहते होंगे. वॉशरूम जाने से लेकर खाने की टेबल तक हम सब मोबाइल फोन में बिजी रहते हैं. यही वजह है कि कई ऑफिसों में कर्मचारियों के फोन जमा कर लिए जाते हैं और ऑफिस में इसका इस्तेमाल ना करने की सख्त हिदायत दी जाती है. इसी के चलते कई ऑफिसों में नो फोन पॉलिसी को फॉलो किया जाता है. अब एक रेडिट यूजर ने अपने पोस्ट में बताया है कि कैसे एक कंपनी में 'नो फोन ड्यूरिंग वर्क आवर्स' (No Phones During Work Hours) पॉलिसी कंपनी पर भारी पड़ गई. रेडिट पोस्ट के मुताबिक, इस कंपनी के कर्मचारियों को अपना फोन या तो कार में छोड़कर आना होता है या फिर लॉकर्स में जमा कराना होता है.
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कंपनी पर भारी पड़ी नो फोन पॉलिसी (No Phones During Work Hours)
कंपनी के एक कर्मचारी और रेडिट यूजर ने कंपनी की इस पॉलिसी का खुलासा किया है और बताया है कि फैमिली इमरजेंसी और कई बातों के लिए फोन का साथ में होना बहुत जरूरी है. वहीं, कंपनी की यह पॉलिसी उस वक्त इस पर भारी पड़ गई, जब सर्वर में बड़ी गड़बड़ी आई और कर्मचारी संपर्क ना करने के चलते इसे तुरंत ठीक नहीं कर पाए, क्योंकि फोन कार में था और दूसरी तरफ मैनेजर फोन पर फोन किए जा रहा था. सर्वर लगभग 30 मिनट तक डाउन रहा और कई डिपार्टमेंट के कर्मचारी खाली बैठे रहे. इसके बाद मैनेजर ने सभी के लिए इमरजेंसी पर्पज के लिए फोन की अनुमति दे दी.
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कंपनी ने लिया यू-टर्न (No Phones During Work Hours)
इस कर्मचारी ने अपने पोस्ट में लिखा है, 'जब मैं 5:15 बजे अपनी कार तक पहुंचा और अपना फोन चेक किया तो, तब तक मेरे मैनेजर की 17 मिस्ड कॉल और कई मैसेज आ चुके थे, सर्वर 30 मिनट से डाउन था, कई विभाग कुछ नहीं कर पा रहे थे'. वहीं, जब मैनेजर ने इस कर्मचारी से पूछा कि फोन क्यों नहीं उठाया, तो कर्मचारी ने कंपनी की 'नो फोन ड्यूरिंग वर्क आवर्स' का हवाला दे दिया. इसके बाद मैनेजर सोच में पड़ गया और उसने अगले ही दिन सभी के लिए इमरजेंसी पर्पज के लिए फोन अलाउड करने संबंधी एक-एक को मेल भेजा.
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