पाकिस्तान में आर्थिक संकट दिन पर दिन गहराता जा रहा है. बढ़ते आर्थिक संकट की वजह से अब पाकिस्तानी रुपये में भी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है. गुरुवार को एक डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 255 पर जाकर रुका है. जो इसका सबसे निचला स्तर है. पाकिस्तानी रुपये में ये गिरावट सरकार द्वारा विनिमय दर पर अपनी पकड़ ढीली करने के बाद आई है.
इस गिरावट के पीछे कि वजह ये है कि पाकिस्तान ने IMF की शर्त मान कर अपने रुपये को खुले बाज़ार की क़ीमत के हिसाब से खुला छोड़ दिया है. इससे पहले पाकिस्तान के वित्त मंत्री मोहम्मद इशॉक डार ने एक डॉलर की क़ीमत को करीब 231 रुपये पर कृत्रिम तरीक़े से रोक रखा था ताकि अधिक किरकिरी न हो. लेकिन ये सरकारी खजाने में डॉलर आने में एक बड़ा रोड़ा बना हुआ था.
इससे नुकसान ये हो रहा था कि डॉलर एक्सचेंज के लिए सरकारी बैंक में न आकर खुले बाज़ार में जा रहा था जहां इसकी ऊंची क़ीमत मिल रही थी. पाकिस्तान के सरकारी खजाने में डॉलर कम होने की ये भी एक बड़ी वजह है. जानकारों के मुताबिक़ पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 4.34 बिलियन डॉलर का ही रह गया है, जो लगभग खाली होने जैसा है.
IMF ने मदद की अगली क़िस्त जारी करने से पहले पाकिस्तान के पास मुख्यतौर पर तीन शर्तें रखी हैं. उसमें डॉलर के मुक़ाबले पाकिस्तानी रुपये की क़ीमत को बाज़ार भाव के अनुकूल करना था.
दूसरी शर्त गैस, बिजली और डीज़ल पर दी जा रही सब्सिडी को ख़त्म करना है. इससे इन चीज़ों की क़ीमत बेतहाशा बढ़ेगी और जनता में सरकार के प्रति नाराज़गी बढ़ेगी. लेकिन पाकिस्तान की सरकार को ये कड़वी घूंट पीनी पड़ेगी वरना IMF की शर्त पूरी नहीं होगी.
तीसरी शर्त है कि राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए पाकिस्तान सरकार नए टैक्स लगाए. पाकिस्तान के आर्थिक मामलों के जानकार आबिद सुलेरी बताते हैं कि राजनीतिक तौर पर ये फ़ैसला शाहबाज़ शरीफ़ सरकार के लिए अलोकप्रिय साबित होगा लेकिन ऐसा फ़ैसला लेने के अलावा, उनके पास और कोई चारा नहीं है. उम्मीद की जा रही है कि पाकिस्तान में जल्द ही एक मिनी बजट लाया जाएगा.
इन फ़ैसलों के बाद पाकिस्तान को उम्मीद है कि आईएमएफ़ जल्द ही लेटर ऑफ़ कमंर्फ जारी कर देगा. ये न सिर्फ़ आईएमएफ़ से 1.66 बिलियन की अगली किस्त तो मिलेगी ही, लेटर आफ़ कंफर्ट मिलना पाकिस्तान के लिए इसलिए भी जरूरी है ताकि चीन और सऊदी अरब समेत तमाम उन देशों से जिनसे पाकिस्तान ने कर्ज लिया हुआ है. इस लेटर के आधार पर चीन समेत तमाम देनदार देश अपने कर्जे का नवीनीकरण कर देंगे.