अमेरिका ने हाल के हफ्तों में सऊदी अरब से अति आधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली को हटा लिया है. यह ऐसे समय में हो रहा है जब देश यमन के हुती विद्रोहियों से लगातार हवाई हमले का सामना कर रहा है. द एसोसिएटेड प्रेस द्वारा उपग्रह की तस्वीरों के विश्लेषण से यह जानकारी हासिल हुई. रियाद से बाहर प्रिंस सुल्तान एयर बेस से सुरक्षा प्रणाली को हटाने का यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ जब अमेरिका के खाड़ी अरब सहयोगियों ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की अफरा-तफरी वाले माहौल में वापसी देखी है.
ईरान का मुकाबला करने के लिए अरब प्रायद्वीप में हजारों अमेरिकी सैनिक बने हुए हैं. खाड़ी के देशों को अमेरिका की भविष्य की योजनाओं को लेकर चिंता सता रही है क्योंकि उसकी सेना को एशिया में बढ़ते सैन्य खतरे की आशंका है और उसके लिए उसे मिसाइल रक्षा प्रणाली की जरूरत है. एपी के सवाल के जवाब में पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने ‘निश्चित हवाई रक्षा प्रणाली को हटाने' की बात स्वीकार की है. उन्होंने कहा कि अमेरिका ने पश्चिम एशिया के अपने सहयोगियों के साथ ‘ व्यापक और गहरी प्रतिबद्धता' बनाए रखी है.
एपी को एक बयान में, सऊदी अरब के रक्षा मंत्रालय ने अमेरिकी मिसाइल रक्षा प्रणाली की वापसी की बात स्वीकार करने के बाद भी अमेरिका के साथ देश के संबंध को ‘मजबूत, दीर्घकालिक और ऐतिहासिक' बताया और कहा कि सऊदी की सेना ‘अपनी जमीन, समुद्र और हवाई क्षेत्र तथा लोगों की रक्षा करने में सक्षम' है. वहीं विश्व शक्तियों के साथ ईरान के परमाणु समझौते के खत्म होने के बाद इसको लेकर वियना में हो रही बातचीत भी अटक गई है, जिससे क्षेत्र में आगे संघर्ष के खतरे बढ़ गए हैं.
अगस्त के अंत में एपी ने जो उपग्रह से ली गई तस्वीर देखी उसमें यह नजर आ रहा था कि कुछ पैट्रियट बैटरी इलाके से हटाई गई हैं. हालांकि गतिविधि और वाहन वहां देखे गए थे. वहीं शुक्रवार को प्लेनेट लैब उपग्रह की तस्वीर में यह दिखा कि इस स्थल पर बैटरी पैड खाली हैं और किसी तरह की गतिविधि भी नहीं है. रक्षा प्रणाली को ऐसे समय में हटाया गया है जब हाल में सऊदी अरब पर हुती के ड्रोन हमले में आठ लोग जख्मी हो गए. सऊदी अरब मार्च, 2015 से ही हुती विद्रोहियों के खिलाफ युद्ध छेड़े हुए है.