रूस पर जीत का जेलेंस्की का प्लान क्यों रह गया धरा का धरा, क्या बरबाद कर देगा रूस

पिछले महीने अमेरिकी अखबारों में अधिकारियों के हवाले से यह कहा गया था कि यह प्लान रणनीतिक रूप से कारगर नहीं है. इसके अलावा यह प्लान केवल मदद के लिए तैयार किया गया है. 

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यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमिर जेलेंस्की.
नई दिल्ली:

Ukraine Russia War: यूक्रेन और रूस के बीच भयंकर युद्ध (Russia Ukraine War) जारी है. अमेरिका और पश्चिमी देशों के समर्थन ने यूक्रेन रूस से लगातार लोहा ले रहा है. लेकिन युद्ध किसी भी देश के लिए अच्छा नहीं है. ऐसे में दोनों ही देशों में युद्ध समाप्त करने का दवाब बाहरी भी और भीतरी भी. लेकिन कोई भी देश झुकने को तैयार नहीं हैं. रूस खुद को महाशक्ति के रूप में स्थापित करने को बेताब और यूक्रेन खुद को अपने पड़ोसी से पश्चिमी देशों के करीब करने की ओर बढ़ता जा रहा है. ऐसे में यह युद्ध पिछले ढाई सालों से जारी है और रूस कई बार काफी आक्रामक हो जाता है तो कभी यूक्रेन का पलटवार रूस पर दबाव बना देता है. ऐसे में अमेरिका और पश्चिमी देशों का यूक्रेन के साथ देना जारी है. 

जेलेंस्की का विक्ट्री प्लान

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने देश की संसद में सांसदों के सामने विक्ट्री प्लान साझा किया  है. उनका मानना है कि इस प्लान को जमीन पर उतारने से यूक्रेन रूस के सामने अपनी स्थिति को काफी बेहतर कर पाएगा और रूस को हरा भी देगा. 

क्या है प्लान

इस प्लान में मुख्य रूप से यूक्रेन के लिए नाटो की सदस्यता के लिए न्योता, साथी देशों से लंबी दूरी की मिसाइलों के प्रयोग पर लगे रोक को हटाना, यूक्रेन के साथ रुके व्यापार को दोबारा चालू करना और रूस के इलाकों में जोरदार हमलों को बरकरार करना शामिल है.

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रू का जवाब

कीव के इस प्लान पर क्रेमलिन ने साफ कर दिया है कि यूक्रेन को जागने की जरूरत है. इतना ही नहीं अपने भाषण ने राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि चीन, ईरान और उत्तर कोरिया को रूस का साथ देने के लिए आड़े हाथों लिया और अपराधियों का झुंड करार दिया.

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इसके अलावा जेलेंस्की का गुस्सा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन पर भी फूटा. उन्होंने पुतिन को पागल करार दिया जिसका जोर युद्ध पर है. अपना यह प्लान जेलेंस्की यूरोपियन यूनियन के सामने भी प्रस्तुत करेंगे. 

रूस के आगे नहीं झुकेगा यूक्रेन

अपने इरादों पर बात करते हुए जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन किसी भी सूरत में अपने हिस्से में कोई बफर जोन बनाया जाए. इसके साथ यूक्रेन ने युद्ध के बाद का प्लान भी शेयर कर दिया जिसमें यूरोप में तैनात अमेरिकी सैनिकों के स्थान पर यू्क्रेन के सैनिकों को तैनाती की भी योजना है. 

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प्लान पर अमेरिकी आपत्ति

जेलेंस्की इस प्लान को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के अलावा अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव के दोनों प्रत्याशियों को भी बता चुके हैं. इनके साथ ही यूरोप के प्रमुख सहयोगी देशों के प्रमुखों के साथ भी प्लान साझा किया जा चुका है. गौरतलब है कि पिछले महीने अमेरिकी अखबारों में अधिकारियों के हवाले से यह कहा गया था कि यह प्लान रणनीतिक रूप से कारगर नहीं है. इसके अलावा यह प्लान केवल मदद के लिए तैयार किया गया है. 

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एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिका अब यूक्रेन के मामले रूस के साथ तनाव और बढ़ाने के मूड में नहीं है. अमेरिका में फिलहाल राष्ट्रपति पद की चुनाव प्रक्रिया जारी है.  

क्या है नाटो का कहना

जेलेंस्की के प्लान पर प्रतिक्रिया देते हुए नाटो के महासचिव मार्क रुटे ने कहा कि यह कीव के द्वारा मजबूत संदेश भेजने का तरीका है. लेकिन इसके बाद जो उन्होंने कहा वह चौंकाने वाला था. रूट ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि हम प्लान को सपोर्ट करते हैं.  उनका कहना है कि इसमें कई बातें ऐसी हैं जिन्हें अभी जानना और समझना जरूरी है. 

गौरतलब है कि इस तरह के किसी भी प्लान को नए अमेरिकी राष्ट्रपति का स्वीकृति मिलना जरूरी है. रूट के फिर दोहराया कि उन्हें उम्मीद है कि एक दिन यूक्रेन नाटो का सदस्य जरूर बनेगा. 

यूक्रेन के लिए संदेश

यूक्रेन के लिए नाटो महासचिव के ये बातें सदमे के समान होंगी. ऐसे में दो साल से नाटो में सदस्यता का प्रयास कर रहे यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है. इसे साफ है कि नाटो ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया कि वह यूक्रेन को अपने संगठन में शामिल करने के लिए तैयार नहीं है.

कुल मिलाकर यह देखा जा सकता है कि यूक्रेन का विक्ट्री प्लान नाटो की सदस्यता पर निर्भर करता है. जेलेंस्की नाटो की सदस्यता जल्द चाहते हैं. जेलेंस्की की योजना है कि नाटो उनकी सदस्यता के आवेदन पर तेजी से कार्य करे.

नाटो सदस्य का फायदा क्या

खास बात यह है कि नाटो की सदस्यता मिलने से यूक्रेन को काफी लाभ होगा. इसका कारण यह है कि नाटो सदस्यों को सामूहिक सुरक्षा गारंटी मिलती है. बता दें कि नाटो के बड़े सदस्य देश जैसे अमेरिका और जर्मनी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि यूक्रेन को सदस्यता देने से वे परमाणु शक्ति संपन्न रूस के साथ एक व्यापक युद्ध में घसीटे जा सकते हैं इसलिए यह देश तब तक यूक्रेन को नाटो में शामिल करने का विरोध कर रहे हैं जब तक युद्ध समाप्त नहीं होता.

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