SCO Summit 2025: शिखर सम्मेलन के पहले शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन से मिले पीएम मोदी
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- SCO के साझा बयान में पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की गई है. दोषियों को सजा दिलाने पर बल दिया गया है.
- फिलिस्तीनी-इजरायली संघर्ष में गाजा में हुई नागरिक हताहतों की निंदा करते हुए तत्काल और स्थायी युद्धविराम पर जोर
- SCO ने ईरान पर इजरायल और अमेरिका के सैन्य हमलों को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताते हुए कड़ी निंदा की है.
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हमें बताएं।SCO Summit in China's Tianjin: चीन के तियानजिन में हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO Summit 2025) के शिखर सम्मेलन में भारत की बड़ी जीत हुई है. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह अपने वक्तव्य में पहलगाम हमले और पाकिस्तान का नाम लिए बिना सीमापार आतंकवाद के मुद्दे पर जोर दिया, ठीक उसी के अनुसार SCO के साझा बयान में भारत के स्टैंड को ही दोहराया गया है. साफ-साफ शब्दों में 10 राष्ट्राध्यक्षों के साइन किए इस साझा बयान में पहलगाम हमले की निंदा की गई है, और इसके दोषियों की न्याय के कटघरे में खड़ा करने की बात कही गई है.
इस साझा बयान में इजरायल और अमेरिका का नाम लेकर ईरान पर उसके हमले की निंदा की गई है. गाजा की तबाही पर आलोचना की गई है. चलिए आपको 10 प्वाइंट में SCO के साझा बयान की 10 बड़ी बात बताते हैं.
- पहलगाम हमले पर: “सदस्य देशों ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की. उन्होंने मृतकों और घायलों के परिवारों के प्रति गहरी सहानुभूति और संवेदना व्यक्त की. उन्होंने आगे कहा कि ऐसे हमलों के अपराधियों, आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए.”
- गाजा की तबाही पर- “फिलिस्तीनी-इजरायली संघर्ष के लगातार बढ़ने पर अपनी गहरी चिंता दोहराते हुए, सदस्य देश उन कार्यों की कड़ी निंदा करते हैं जिनके कारण गाजा पट्टी में बड़ी संख्या में नागरिकों की मौत हुई है और भयावह मानवीय स्थिति पैदा हुई है. सदस्य देश तत्काल, पूर्ण और स्थायी युद्धविराम सुनिश्चित करने, मानवीय सहायता तक पहुंच सुनिश्चित करने और क्षेत्र के सभी निवासियों के लिए शांति, स्थिरता और सुरक्षा प्राप्त करने के प्रयासों को तेज करने की आवश्यकता पर बल देते हैं.”
- ईरान पर हमले पर- “सदस्य देशों ने जून 2025 में इस्लामिक गणराज्य ईरान के खिलाफ इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका के सैन्य हमलों की कड़ी निंदा की. परमाणु ऊर्जा के बुनियादी ढांचे सहित नागरिक लक्ष्यों के खिलाफ ऐसी आक्रामक कार्रवाइयां, जिसके कारण नागरिकों की मौत हुई, अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों और मानदंडों का घोर उल्लंघन है.यह ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन है. वे क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करते हैं और वैश्विक शांति और स्थिरता पर गंभीर प्रभाव डालते हैं.”
- आतंकवाद पर- “आतंकवाद, युद्ध और ड्रग्स से मुक्त, एक स्वतंत्र, तटस्थ और शांतिपूर्ण देश के रूप में अफगानिस्तान की स्थापना के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, सदस्य देशों ने उस देश में शांति और विकास सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों का समर्थन करने के लिए अपनी तत्परता व्यक्त की.”
- परमाणु हथियार पर- “1 जुलाई 1968 की परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि में भाग लेने वाले सदस्य देश संधि के प्रावधानों के सख्त अनुपालन, उसमें निहित सभी उद्देश्यों और सिद्धांतों के व्यापक और संतुलित प्रचार की वकालत करते हैं. वे वैश्विक स्तर पर परमाणु निरस्त्रीकरण (परमाणु हथियार छोड़ने) और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु अप्रसार व्यवस्था की प्रक्रिया को मजबूत करने का समर्थन करते हैं. वे शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा के रिसर्च, उत्पादन और उपयोग को विकसित करने और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में भेदभाव के बिना समान, टिकाऊ और पारस्परिक रूप से लाभप्रद अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में भाग लेने के अपने अपरिहार्य अधिकार पर जोर देते हैं. सदस्य देशों ने इस बात पर जोर दिया कि इस क्षेत्र में एकतरफा प्रतिबंध लगाना अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत हैं और अस्वीकार्य हैं.”
- ट्रंप के टैरिफ पर- “सदस्य देश आर्थिक प्रकृति के कदमों सहित एकतरफा जबरदस्ती उठाए गए कदमों का विरोध करते हैं, जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के अन्य मानदंडों, विश्व व्यापार संगठन के नियमों और सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं, इसके खाद्य और ऊर्जा घटकों सहित अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को नुकसान पहुंचाते हैं, वैश्विक अर्थव्यवस्था को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को कमजोर करते हैं, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में बाधा डालते हैं.”
- आतंकवाद पर- “सदस्य देश आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़ी निंदा करते हैं. इस बात पर जोर देते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मानदंड अस्वीकार्य हैं. संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के अनुसार प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव और संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद-विरोधी रणनीति को पूरी तरह से लागू करना चाहिए. वे संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका के साथ, आतंकवादियों के सीमा पार हमले सहित आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आह्वान करते हैं, ताकि सभी आतंकवादी संगठनों का संयुक्त रूप से मुकाबला किया जा सके.”
- मानवाधिकार पर- “सदस्य देश सभी मानवाधिकारों की सार्वभौमिकता, अविभाज्यता (जिसे बांटा न जा सके), परस्पर निर्भरता और अंतर्संबंध के साथ-साथ मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता का सम्मान करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं. वे मानवाधिकारों के मुद्दों में "दोहरे मानकों" के आवेदन और उनकी रक्षा के बहाने अन्य राज्यों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का विरोध करते हैं.”
- संगठित अपराध पर- “सभी सदस्य राज्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के साथ-साथ ड्रग्स, साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस और उनके पहले के रूप की अवैध तस्करी, हथियारों की तस्करी और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के अन्य रूपों के खिलाफ संयुक्त लड़ाई जारी रखने के अपने दृढ़ संकल्प की पुष्टि करते हैं.”
- SCO के विस्तार पर- “सदस्य देश संयुक्त राष्ट्र चार्टर और एससीओ चार्टर के सिद्धांतों के आधार पर इच्छुक देशों, भागीदार संगठनों और अन्य अंतरराष्ट्रीय संघों के साथ SCO सहयोग के विस्तार की वकालत करते हैं.”
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