बड़ी-बड़ी डींगें हांकना सिर्फ पाकिस्तानी सेना, उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई और उसके नेताओं के बस की ही है. शेख चिल्ली तो यूं ही बदनाम हो गए. पाकिस्तान की सेना चीन से जे 35 लेने के लिए हाथ-पांव मार रही है. अभी पहलगाम के बाद भारत ने सबक सिखाया तो लगे डींगें हांकने कि उन्होंने तो भारत को ही नुकसान पहुंचा दिया. दुनिया के और मुल्कों की तो छोड़िए खुद पाकिस्तानी ही इसे मानने को तैयार नहीं हुए. अंतत: अपनी खीज मिटाने और जीत का सेहरा पहनने के लिए शहबाज शरीफ ने अपने सेना अध्यक्ष असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बना दिया. भारत ने अपने नेताओं को विदेशी दौरे पर भेजा तो कूदे-कूदे शहबाज भी तुर्किये और ईरान पहुंच गए. अपने जीत के दावों के साथ-साथ भारत के साथ बात करने के लिए गिड़गिड़ाते भी रहे, लेकिन कोई भी उन्हें आश्वासन तक न दे सका.
भारत की बराबरी की सनक
पाकिस्तान हर समय भारत की बराबरी को तैयार रहता है. वो मानने को तैयार ही नहीं होता कि उससे न हो पाएगा. पाकिस्तान सरकार की जून 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय पाकिस्तान पर कुल 256 बिलियन डॉलर यानी करीब 21.6 लाख करोड़ रुपये का सार्वजनिक कर्ज है. ये पाकिस्तान की कुल GDP का 67% है. पाकिस्तान में महंगाई काफी बढ़ गई है. हाल के आंकड़ों के अनुसार, यह दर 38% तक पहुंच गई है. यह दर विभिन्न कारणों से बढ़ रही है. खासकर आर्थिक संकट, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के दबाव के बावजूद रक्षा बजट में वृद्धि के कारण पाकिस्तान की जनता महंगाई से मर रही है. मतलब कर्ज में होने के बावजूद पाकिस्तान की सेना को हथियार चाहिए. वो भी सबसे एडवांस. वो भी भारत के लिए. भले ही जनता भूख से मर जाए. मगर इन जनरलों को इससे क्या?
पाकिस्तान में महंगाई दर के तीन साल के आंकड़े:
- 2022 में महंगाई दर: 19.87%
- 2023 में महंगाई दर: 30.77%
- 2024 में महंगाई दर: 23.4%
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को स्थिर करने के लिए आईएमएफ ने एक $7 बिलियन के बेलआउट पैकेज की पेशकश की है, जिसके तहत देश को अनावश्यक खर्चों में कटौती करने और राजस्व बढ़ाने के लिए कहा गया है. हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने रक्षा बजट में 18% की वृद्धि की है, जो लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये है, जिसे आर्थिक संकट के बीच एक विवादास्पद निर्णय माना जा रहा है. पाकिस्तान में आवश्यक वस्तुओं की कीमतें इस प्रकार हैं:
- आटा: 1 किलो आटा की कीमत लगभग 320 रुपये थी जुलाई में, लेकिन यह कीमतें बढ़ सकती हैं क्योंकि आटे की कीमत में सालाना आधार पर 88.2% की वृद्धि हुई है.
- दाल: विभिन्न दालों की कीमतें अलग-अलग हैं, लेकिन दाल मसूर की कीमत में 1.01% की वृद्धि हुई है और मूंग दाल में 0.52% की तेजी आई है. दालों की सटीक कीमतें उपलब्ध नहीं हैं.
- प्याज: 1 किलो प्याज की कीमत लगभग 185 पाकिस्तानी रुपये है, जो भारतीय रुपये में लगभग 56 रुपये होती है. हालांकि, प्याज की कीमत में सालाना आधार पर -36.2% की गिरावट भी दर्ज की गई है.
- टमाटर: 1 किलो टमाटर की कीमत लगभग 189 पाकिस्तानी रुपये है, जो भारतीय रुपये में लगभग 50 रुपये होती है. टमाटर की कीमत में सालाना आधार पर -18.1% की गिरावट भी दर्ज की गई है.
- चीनी: चीनी की कीमत में 5.48% की वृद्धि हुई है, लेकिन सटीक कीमतें उपलब्ध नहीं हैं.
- चिकन: चिकन की कीमत में 1.8% की वृद्धि हुई है, लेकिन सटीक कीमतें उपलब्ध नहीं हैं.
- मटन: मटन की कीमतें उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन यह आवश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल है, जिनकी कीमतें बढ़ी हैं.
- सरसों तेल: सरसों के तेल की कीमत में -4% की गिरावट आई है, लेकिन सटीक कीमतें उपलब्ध नहीं हैं. कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, खाद्य तेल की कीमत में 4.27% की वृद्धि हुई है .
पाकिस्तान का कुल कर्ज
- पाकिस्तान पर 2025 में कुल कर्ज की राशि लगभग 131 अरब डॉलर है.
- यह पाकिस्तान की सकल घरेलू उत्पाद का करीब 35% है.
- यह जानकारी ग्लोबल इकोनॉमिक डेटा के अनुसार दिसंबर 2024 तक की है.
- पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति काफी खराब है, और उसे अपने कर्ज चुकाने में भी मुश्किलें आ रही हैं.
पाकिस्तान ने किस-किस से कर्ज लिया
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF): पाकिस्तान ने IMF से कई बार कर्ज लिया है, और हाल ही में 1 बिलियन डॉलर का कर्ज मंजूर हुआ है.
- चीन: चीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा कर्जदाता है, और पाकिस्तान पर चीन का कर्ज 4.4 बिलियन डॉलर से अधिक है.
- सऊदी अरब: सऊदी अरब भी पाकिस्तान को कर्ज देता है, और पाकिस्तान ने सऊदी अरब से कर्ज के रोलओवर में एक साल का विस्तार हासिल किया है.
- वर्ल्ड बैंक: वर्ल्ड बैंक ने भी पाकिस्तान को कर्ज दिया है, और पाकिस्तान ने कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से भी कर्ज लिया हुआ है.
पैसे और खाने के बाद अब पानी को भी तरस रहे
पहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया है. इसके साइड इफेक्ट अब पाकिस्तान में नजर आने लगे हैं. पाकिस्तान की एयरपोर्ट्स तक पर पानी नहीं है. ये बात पाकिस्तान की फिल्म अभिनेत्री हिना ख्वाजा ने सोशल मीडिया पर बताया है. उन्होंने इशारों-इशारों में पाकिस्तान के हुक्मरानों को डींगें हांकने की बजाए जरूरत के काम पर ध्यान देने की अपील की है. मगर पाकिस्तान के हुक्मरान अगर उनके जैसे लोगों की बात सुन ही लेते तो फिर ऐसी नौबत ही क्यों आती.
पाकिस्तान में पानी की कमी के प्रमुख कारण
- सालों से डैम परियोजनाओं में लापरवाही: पाकिस्तान में जल संकट की एक बड़ी वजह डैम परियोजनाओं की उपेक्षा है.
- भारत से पानी की आपूर्ति में कमी: खरीफ सीजन के दौरान भारत से पानी की आपूर्ति कम होने से पाकिस्तान में पानी की कमी हो सकती है, जिससे 21% पानी की कमी की संभावना है.
- आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियां: पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और राजनीतिक अस्थिरता भी जल संकट को और बढ़ा रही है.
पाकिस्तान के पानी से प्रभावित इलाके
- सिंधु नदी बेसिन: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और कृषि के लिए महत्वपूर्ण सिंधु नदी बेसिन में पानी की कमी से समस्याएं बढ़ सकती हैं.
- शहरी क्षेत्र: कराची जैसे बड़े शहरों में पानी की कमी और मूलभूत सुविधाओं की कमी एक बड़ी समस्या है.
- कृषि क्षेत्र: पानी की कमी से कृषि उत्पादन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे खाद्य सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ सकता है.
पाकिस्तान में भिखारियों की संख्या के बारे में सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन यह एक गंभीर सामाजिक समस्या है. पाकिस्तान में भिखारियों की संख्या लाखों में होने का अनुमान है, और यह समस्या देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग रूप से महसूस की जा रही है.
पाकिस्तान में भिखारियों की समस्या
- गरीबी और बेरोजगारी: पाकिस्तान में गरीबी और बेरोजगारी के कारण लोग भिखारी बनने को मजबूर हो जाते हैं.
- शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी: पाकिस्तान में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण लोग भिखारी बनने को मजबूर हो जाते हैं.
- सामाजिक सुरक्षा की कमी: पाकिस्तान में सामाजिक सुरक्षा की कमी के कारण लोग भिखारी बनने को मजबूर हो जाते हैं.
पाकिस्तानी भिखारियों को वापस भेजने वाले देशों की लंबी सूची है. इन देशों ने कुल मिलाकर 5402 पाकिस्तानी भिखारियों को वापस भेजा है, जिनमें से 4850 लोगों को 2024 में वापस भेजा गया था और 552 लोगों को इस साल वापस भेजा गया है.
- सऊदी अरब: सऊदी अरब ने जनवरी 2024 से अब तक 5033 पाकिस्तानी भिखारियों को वापस भेजा है. सऊदी अरब में पाकिस्तानी भिखारियों की संख्या अधिक होने की एक वजह यह है कि वे मक्का और मदीना के आसपास बैठकर भीख मांगते हैं.
- इराक: इराक ने भी पाकिस्तानी भिखारियों को वापस भेजा है, हालांकि सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.
- मलेशिया: मलेशिया ने भी पाकिस्तानी भिखारियों को वापस भेजने की कार्रवाई की है.
- ओमान: ओमान ने भी पाकिस्तानी भिखारियों को वापस भेजा है.
- कतर: कतर ने भी पाकिस्तानी भिखारियों को वापस भेजने की कार्रवाई की है.
- संयुक्त अरब अमीरात (यूएई): यूएई ने भी पाकिस्तानी भिखारियों को वापस भेजा है.
पाकिस्तान का एटम बम भी चोरी का
पाकिस्तान के परमाणु बम के विकास के बारे में कई आरोप लगाए गए हैं, जिनमें चोरी और अवैध तरीके से प्रौद्योगिकी हासिल करने के आरोप शामिल हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे लेकर हमेशा डर बना रहता है कि कहीं आतंकवादियों के हाथ में ये न पड़ जाएं. अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान के अंदर ही परमाणु फूटेंगे और सब तिल-तिलकर मरेंगे.
- अब्दुल कादिर खान: पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम में अब्दुल कादिर खान की भूमिका महत्वपूर्ण थी, जिन्होंने पाकिस्तान के लिए परमाणु बम बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. हालांकि, उन पर आरोप लगे कि उन्होंने अवैध तरीके से परमाणु प्रौद्योगिकी को अन्य देशों को बेचा.
- चीन की मदद: पाकिस्तान ने अपने परमाणु कार्यक्रम के लिए चीन से मदद ली, जिसने पाकिस्तान को परमाणु प्रौद्योगिकी और सामग्री प्रदान की.
- अंतरराष्ट्रीय चिंताएं: पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंताएं जताई जाती रही हैं, खासकर पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता और आतंकवाद के खतरे को देखते हुए.
आतंकवाद में पाकिस्तान की भूमिका
- पाकिस्तान में कई आतंकवादी संगठन सक्रिय रहे हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख संगठन हैं.
- लश्कर-ए-तैयबा: एक जिहादी समूह जो भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहा है.
- जैश-ए-मोहम्मद: एक अन्य जिहादी समूह जो भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहा है.
- इन दोनों संगठनों के कई अन्य नाम से भी संगठन बना लिए हैं.
- अल-कायदा: एक वैश्विक आतंकवादी नेटवर्क, जो पाकिस्तान में भी सक्रिय रहा है.
- भारत को परेशान करने की नियत से बनाए ये आतंकवादी कभी-कभी उसके लोगों को भी मार देते हैं.
ड्रग्स में पाकिस्तान की भूमिका
भारत में ड्रग्स के इस गोरखधंधे के पीछे दो बड़े नेटवर्क हैं और भारत इन दोनों के ठीक बीच में है. पहला नेटवर्क है गोल्डन क्रीसेंट, जिसे डेथ क्रीसेंट भी कहा जाता है और दूसरा है गोल्डन टाइएंगल, जिसे भारत डेथ ट्राइएंगल कहता है. डेथ क्रीसेंट पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और ईरान को मिलकर बना है. इन देशों के कई इलाकों को ड्रग्स तस्कर अफ़ीम की खेती के लिए इस्तेमाल करते हैं. कभी अफ़ग़ानिस्तान में अफ़ीम की सबसे ज़्यादा खेती होती थी, लेकिन तालिबान ने 2023 में अफ़ीम की खेती पर रोक लगा दी, लेकिन फिर भी कुछ इलाकों में पाकिस्तानी तस्करों की मिलीभगत से अब भी अफ़ीम पैदा की जा रही है, जिसे हेरोइन में बदलकर भारत और अन्य इलाकों में तस्करी की कोशिश की जाती है. ड्रग्स तस्करी का दूसरा जाल है डेथ ट्राइएंगल. जो म्यांमार, थाइलैंड और लाओस के बीच फैला हुआ है. यहां से दुनिया भर में ड्रग्स की बड़े पैमाने पर तस्करी होती है. अफ़ग़ानिस्तान के बाद म्यांमार दुनिया में अफ़ीम की खेती का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है. इस ड्रग्स की लत पाकिस्तानियों को भी लग रही है. मगर वहां के हुक्मरानों को अपनी जनता की चिंता हो तब तो वो इसे रोकें. उन्हें तो बस अपनी जेबें भरनी हैं.