साल 2014 में पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल नरसंहार से संबंधित एक मामले में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. हालांकि पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने बुधवार को कोर्ट से कहा कि पाकिस्तान में कोई कोई दूध का धुला नहीं नहीं है. बता दें कि पीएम इमरान खान को चीफ जस्टिस गुलजार अहमद ने पेशावर में 2014 के स्कूल नरसंहार से संबंधित मामले में तलब किया था.
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के लड़ाकों ने 16 दिसंबर, 2014 को स्कूल पर धावा बोल दिया था और 140 से अधिक लोगों को मार डाला था. इस हमले में ज्यादातर स्कूली बच्चे मारे गए थे. इस घटना के संबंध में बच्चों के माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर देश के शीर्ष नेतृत्व को इस मामले में नामजद करने और घटना की पारदर्शी जांच कराने की मांग की थी.
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घटना के समय इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सत्तारूढ़ प्रांतीय सरकार थी. मामले की समीक्षा बेंच के सदस्य जस्टिस एजाज उल अहसान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे बर्बर कृत्य में जान गवाने वाले बच्चों के माता-पिता को संतुष्ट करना महत्वपूर्ण है. बच्चों के माता-पिता मांग की मांग है कि उस समय के लीडरशीप पर मुकदमा चलाया जाए. वहीं इस मामले में पीएम ने स्वीकार किया कि जब नरसंहार की घटना हुई थी, उनकी पार्टी खैबर पख्तूनख्वा में सत्ता में थी. जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, घटना के बाद वह अस्पतालों में बच्चों के माता-पिता से मिले थे, लेकिन वे सदमे और दुख में थे . पीएम ने कहा कि उस समय हम जो भी कर सकते थे, हमने किया.
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इस पर चीफ जस्टिस ने प्रधानमंत्री से कहा कि बच्चों के माता-पिता सरकार से मुआवजे की मांग नहीं कर रहे हैं. बल्कि यह जानने की मांग कर रहे हैं कि उस दिन पूरा सुरक्षा तंत्र कहां था. उन्होने कहा कि हमने स्पष्ट आदेश दिये थे, बावजूद कुछ भी नहीं किया गया. वहीं इस घटना पर पाक पीएम इमरान खान से बात करते हुए जस्टिस काजी मुहम्मद अमीन अहमद ने कहा कि आपने दोषियों को नेगोशिएबल टेबल पर बुलाया है. क्या हम एक बार फिर सरेंडर डाक्यूमेंट पर साइन करने वाले हैं. वह हमले के पीछे आतंकवादी समूह प्रतिबंधित टीटीपी के साथ सरकार द्वारा किए गए संघर्ष विराम समझौते का जिक्र कर रहे थे.
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को माता-पिता की मांगों पर ध्यान देना चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. चीफ जस्टिस ने इस मामले में कहा था कि पाकिस्तान की एजेंसियों और संस्थानों के पास हर तरह की जानकारी है, लेकिन जब लोगों की सुरक्षा की बात आती है तो हमारी सुरक्षा एजेंसियां विफल हो जाती हैं.