NASA ने सूर्य पर हुए दो बड़े विस्फोटों की तस्वीरें की साझा, सोलर फ्लेयर का दिखा नाजारा

सूर्य से पृथ्वी की ओर बढ़े सौर चुंबकीय तूफानों के कारण लद्दाख के ‘हेनले डार्क स्काई रिजर्व’ में आसमान गहरे लाल रंग की चमक से रोशन हो गया.

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सबसे ताकतवर सौर तूफान सन् 1859 में पृथ्वी से टकराया था. इसे कैरिंगटन इवेंट नाम दिया गया था.

नासा ने सूर्य की सतह पर शुक्रवार और शनिवार को हुए दो विस्फोटों को रिकॉर्ड किया है. इस दौरान सूर्य से फ्लेयर्स (Solar Flare) भी निकले. NASA के सोलर डायनेमिक्स ऑब्ज़र्वेटरी ने ये नाजारा कैद किया. NASA ने एक बयान में कहा 10-11 मई, 2024 को सूर्य से दो फ्लेयर्स निकले. 10 मई, रात्रि 9:23 बजे, EDT और  11 मई को सुबह 7:44 बजे, EDT पर ये चरम पर थे. NASA के सोलर डायनेमिक्स ऑब्ज़र्वेटरी ने घटनाओं की तस्वीरें खींचीं. जिन्हें X5.8 और X1.5 श्रेणी के फ्लेयर्स के रूप में वर्गीकृत किया गया है. ये तस्वीरे नासा ने एक्स पर पोस्ट की.

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दरअसल सूर्य के नॉर्थ और साउथ पोल्‍स अपनी जगह बदलते हैं. जिसे दोबारा स्विच करने में 11 साल लगते हैं. इस अवधि के दौरान सूर्य से फ्लेयर्स निकलते हैं. धरती पर भी इसका असर दिखता है और आसमान में खूबसूरत सी रोशन दिखती है. हालांकि सबसे ताकतवर सौर तूफान सन् 1859 में पृथ्वी से टकराया था. इसे कैरिंगटन इवेंट नाम दिया गया था. इस तूफान के कारण संचार लाइनें पूरी खराब हो गई थीं.

क्‍या होते हैं Solar Flare? 

सूर्य से जब चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्‍स  सौर फ्लेयर्स का रूप लेते हैं. हमारे सौर मंडल में फ्लेयर्स अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है. इनमें मौजूद एनर्जेटिक पार्टिकल्‍स प्रकाश की गति से अपना सफर तय करते हैं. 

अगर सोलर फ्लेयर की दिशा पृथ्‍वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्‍नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकता है. इसकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है. असर ज्‍यादा होने पर यह पृथ्‍वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकता है.

सौर चुंबकीय तूफान से रोशन हुआ लद्दाख का आसमान

सूर्य से पृथ्वी की ओर बढ़े सौर चुंबकीय तूफानों के कारण लद्दाख के ‘हेनले डार्क स्काई रिजर्व' में आसमान गहरे लाल रंग की चमक से रोशन हो गया. ‘सेंटर आफ एक्सीलेंस इन स्पेस साइंसेज इन इंडिया' (सीईएसएसआई), कोलकाता के वैज्ञानिकों के अनुसार, सौर तूफान सूर्य के एआर13664 क्षेत्र से निकलते हैं, जहां से पूर्व में कई उच्च ऊर्जा सौर ज्वालाएं उत्पन्न हुई हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार इनमें से कुछ 800 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से पृथ्वी की ओर बढ़ीं.

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उत्तरी गोलार्ध के उच्च अक्षांशों में आसमान शानदार ऑरोरा या ‘नार्दन लाइट्स' से जगमग हो गया जिसकी तस्वीरें और वीडियो ऑस्ट्रिया, जर्मनी, स्लोवाकिया, स्विट्जरलैंड, डेनमार्क और पोलैंड के ‘स्काईवॉचर्स' ने सोशल मीडिया पर साझा किए.

लद्दाख में, ‘हेनले डार्क स्काई रिजर्व' के खगोलविदों ने शुक्रवार देर रात लगभग एक बजे से आकाश में उत्तर-पश्चिमी क्षितिज पर एक लाल चमक देखी जो सुबह होने तक जारी रही.

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‘हेनले डार्क स्काई रिजर्व' के इंजीनियर स्टैनजिन नोर्ला ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, 'हम भाग्यशाली थे कि हमने नियमित दूरबीन अवलोकन के दौरान अपने ऑल-स्काई कैमरे पर ऑरोरा गतिविधियां देखीं.''

उन्होंने कहा कि क्षितिज के किनारे किसी उपकरण की मदद के बिना भी एक हल्की लाल चमक दिखाई दे रही थी और इस घटना की तस्वीर ‘हानले डार्क स्काई रिजर्व' में लगाए गए एक डीएसएलआर कैमरे से ली गई.

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स्टैनजिन ने कहा, 'यह देर रात लगभग एक बजे से तड़के 3:30 बजे तक आसमान में छाया रहा.'' उन्होंने कहा कि क्षितिज लाल हो गया और बाद में गुलाबी रंग में बदल गया.

भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, कोलकाता में सीईएसएसआई के प्रमुख दिब्येंदु नंदी ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि हेनले में ऐसी खगोलीय घटना दुर्लभ हैं क्योंकि यह सुदूर दक्षिण में स्थित है.

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अमेरिका का राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) इसे एक असामान्य घटना बता रहा है और कहा है कि ज्वालाएं सूर्य के एक ऐसे बिंदु से जुड़ी हुई प्रतीत होती हैं जो पृथ्वी के व्यास से 16 गुना बड़ा है.

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