रिश्ते बिगड़ने या बमबारी का डर? आखिर गाजा के लोगों को पनाह देने से क्यों कतरा रहा इजिप्ट

इजरायल की तीन तरफ से जबरदस्त घेराबंदी के कारण गाजा के निवासियों के लिए इजिप्ट की सीमा से लगा बॉर्डर क्रॉसिंग ही बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता बचा हुआ है.

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तेल अवीव/गाजा:

इजरायल और फिलिस्तीनी संगठन (Israel Palestine Conflict) हमास (Hamas) के बीच जंग को 12 दिन हो चुके हैं. गाजा (Gaza Strip) के उत्तरी क्षेत्र को खाली करने के आदेश के बाद इजरायल के संभावित ग्राउंड ऑपरेशन के डर से वहां हाहाकार मचा है. संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) ने भी गाजा में खाने और हेल्थकेयर के संकट की चेतावनी दी है. गाजा को आने वाली मानवीय सहायता इजिप्ट (मिस्र) से लगे राफाह बॉर्डर क्रॉसिंग पर फंसी हुई है. क्योंकि इजरायल के कहने पर उसके दोस्त इजिप्ट ने इसे ब्लॉक कर रखा है. ऐसे हालात में गाजा के लोग अपने घर बार छोड़कर दूसरे देशों में शरण लेने की कोशिश में हैं. लेकिन जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला ने ऐलान किया है कि वे फिलिस्तीनी शरणार्थियों को इजिप्ट और जॉर्डन में नहीं लेने वाले हैं. अब सवाल ये है कि आखिर इजिप्ट और जॉर्डन गाजा के लोगों को पनाह देने से क्यों डर रहे हैं? आखिर उनकी क्या मजबूरी है?

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इजिप्ट, जरायल और गाजा पट्टी दोनों के साथ सीमा साझा करता है. गाजा फिलिस्तीन का एक छोटा-सा इलाका है, जिस पर 2007 से हमास का नियंत्रण है. इजिप्ट के इजरायल और फिलिस्तीन दोनों से अच्छे रिश्ते रहे हैं, लेकिन वर्तमान स्थिति ने उसे दुविधा में डाल दिया है. इजिप्ट ने लंबे समय से न सिर्फ इजरायल और फिलिस्तीन के बीच, बल्कि अलग-अलग फिलिस्तीनी गुटों के बीच संघर्ष में भी मध्यस्थ की भूमिका निभाई है. इसी कारण मौजूदा संघर्ष में उसकी भूमिका अहम हो जाती है. इसके अलावा गाजा से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता राफाह क्रॉसिंग भी उसके नियंत्रण में आता है. गाजा पट्टी के लाखों निवासी इसके खुलने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन इजिप्ट ने अभी तक रास्ते को ब्लॉक कर रखा है.

इजिप्ट विस्थापित फिलिस्तीनियों के गाजा से सटे उसके सिनाई प्रांत में जाने के विरोध में रहा है. इजिप्ट सिनाई प्रांत की संप्रभुता पर किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं चाहता है, जिससे यहां सुरक्षा और आर्थिक संकट खड़ा हो जाए. उसके राफाह क्रॉसिंग को अभी तक बंद रखने के पीछे भी यही कारण है.

क्या गाजा के लोग इजिप्ट की ओर जा सकते हैं?
इसको लेकर कई बयान हैं. पहले यह बात हुई थी कि अमेरिका ने इजरायल और इजिप्ट को मना लिया कि अमेरिकी नागरिक या हमास के कब्जे वाले विदेशी नागरिक, शरणार्थी इजिप्ट की ओर चले जाएंगे, लेकिन उस पर कोई स्पष्टता नहीं आई है. इजिप्ट के विदेश मंत्री ने एक इंटरव्यू में कहा है कि इजरायल ने उनके रफाह बॉर्डर क्रॉसिंग पर ऐसी बमबारी की है कि वह अब चालू नहीं है. 

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इजरायल के साथ रिश्ते सुधारने वाला इजिप्ट पहला देश
अरब देशों में इजिप्ट पहला मुल्क था, जिसने इजरायल के साथ अपने रिश्ते सुधारे थे. इजरायल के साथ इजिप्ट के कई तरह के संबंध हैं. लेकिन मौजूदा हालात में इजरायल उन्हीं की सीमा पर बम गिरा रहा है. ऐसे में इजिप्ट के स्थानीय लोगों की तरफ से भी प्रदर्शन हुए हैं. प्रदर्शनकारी अपनी सरकार पर भी दबाव बना रहे हैं कि वह गाजा के लोगों के अपने देश में शरण दे. इजिप्ट की तरफ से बयान आया है कि वह किसी भी शरणार्थी को अपने क्षेत्र में नहीं आने देंगे.

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इजिप्ट को क्या है खतरा?
इसके दो खतरे हैं. पहला खतरा-इजिप्ट का एक तो यह मानना है कि उनके इस फैसले से कि शरणार्थियों को अपने क्षेत्र में आने दें, जिसमें वह कहीं भी इजरायल के साथ खड़ा हुआ नहीं दिखना चाहता. क्योंकि इजरायल-अरब देशों या फिलिस्तीन के युद्ध के इतिहास को देखें तो ऐसा होता था कि लोग अपने क्षेत्रो को छोड़ते थे और उन्हें यही भरोसा दिया जाता था कि वे जंग खत्म होने के बाद वापस आ जाएंगे. लेकिन हर जंग के बाद इजरायल ने ऐसे लोगों को वापस नहीं आने दिया. उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया. ऐसे में इजिप्ट ऐसा कभी नहीं चाहेगा. 

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दूसरा खतरा- इजिप्ट को इसका भी डर है कि जिन्हें वह शरण दे, कहीं उन्हें आतंकी बताकर इजरायल उसके इलाकों में बमबारी ना कर दे. इजिप्ट कभी नहीं चाहता कि राफाह बॉर्डर खुले और शरणार्थी यहां आएं और इजरायल यहां बमबारी करे. गौर करने वाली बात ये है कि अभी तक इजिप्ट ने जंग की नहीं, बल्कि मध्यस्थता और शांति की बात कही है. 

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अब सवाल यह है कि यह जंग क्या इजरायल या हमास के बीच ही रह जाएगी या फिर पश्चिमी एशिया के देश भी इसमें शामिल होंगे? इसके जवाब में दो देशों का उदाहरण देखिए.

सऊदी अरब- सऊदी अरब और इजरायल के रिश्तों को सुधारने के लिए अमेरिका बहुत दिनों से लगा हुआ था. लेकिन जब से हमास का हमला हुआ है. तब से सऊदी अरब ने गाजा पट्टी में इजरायल की बमबारी की आलोचना की है. कई बयान वहां की रॉयल फैमिली की ओर से जारी किए गए हैं. जिनमें इजरायल को गाजा पट्टी में बमबारी रोकने की हिदायत दी गई है. वहां पर राहत सामग्री का सामान नागरिकों के लिए पहुंचाया जाए. 

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अमेरिका के रिश्ते सऊदी अरब से बहुत अच्छे हैं. इसी वजह से अमेरिका सऊदी के रिश्ते इजरायल से अच्छे कराने की कोशिश में था. लेकिन फिलहाल हमास जंग इजरायल से रिश्ते सही होते बिल्कुल नहीं दिख रहे. सऊदी अरब किसी लड़ाई की पोजिशन में तो नहीं है, लेकिन अरब के सबसे ताकतवर देशों में शुमार है. इस्लामिक वर्ल्ड में भी उसे एक ओहदा मिला है. सऊदी अरब की तरफ से जंग की बात नहीं आ रही है, केवल शांति और मध्यस्थता की बात कर रहे हैं.

लेबनान- लेबनान में हिजबुल्लाह आतंकी संगठन को ईरान का समर्थन हासिल है. हिजबुल्लाह लेबनान की सरकार में भी शामिल है. जब से जंग शुरू हुई है. इजरायल की उत्तरी सीमा की ओर से कई हमले किए गए हैं. जवाबी कार्रवाई में इजरायल ने वहां हिजबुल्लाह के कई आतंकियों को भी मार गिरया. हिजबुल्लाह का भी कहना है कि इजरायल की बमबारी में उनके कई लोग जख्मी हुए हैं. 

इस आरोप पर हिजबुल्लाह का कोई बयान नहीं आया. जानकार बताते हैं चूंकि ईरान की सीधी सीमा इजरायल के साथ नहीं लगती है, लिहाजा वह हिजबुल्लाह के कंधे पर बंदूक रखकर ही गोली चलाएगा. लेकिन हिजबुल्लाह कितनी ताकत के साथ जंग में कूदता है, यह भी देखना होगा. 

ईरान- ईरान ने भी जंग में उतरने की धमकी दी है. ईरान के राष्‍ट्रपति इब्राहिम रायसी ने अपने रूसी समकक्ष व्‍लादिमीर पुतिन से सोमवार को फोन पर बात की. उन्‍होंने धमकी दी है कि गाजा में जारी संघर्ष दूसरे मोर्चों तक बढ़ सकता है. उनका कहना था कि इजरायल गाजा संघर्ष का राजनीतिक समाधान तक पहुंचना बहुत जरूरी है और अब समय धीरे-धीरे खत्‍म होता जा रहा है. ऐसे में यह युद्ध दूसरे हिस्‍सों तक फैल सकता है.

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