ईरान अब नहीं मानेगा UN की परमाणु निगरानी संस्था की बात! राष्ट्रपति की मंजूरी से कानून लागू

ईरानी संसद ने ठीक एक हफ्ते पहले बुधवार, 25 जून को संयुक्त राष्ट्र की इस परमाणु निगरानी संस्था के साथ सहयोग खत्म करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी थी. ईरान ने अपने न्यूक्लियर ठिकानों पर अमेरिका और इजरायल के हमले के बाद यह फैसला लिया है.

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ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई
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  • ईरान ने IAEA के साथ सहयोग निलंबित करने के कानून को मंजूरी दी है.
  • यह निर्णय ईरान-इजरायल युद्ध के बाद लिया गया है और प्रभावी हो गया है.
  • ईरानी संसद ने 25 जून को इस विधेयक को मंजूरी दी थी.
  • अमेरिका के हमलों के जवाब में ईरान ने अपनी संप्रभुता की रक्षा का अधिकार बताया.
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ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था- इंटरनेशनल एटॉमिक इनर्जी एजेंसी (IAEA) के साथ सहयोग निलंबित करने के कानून को अंतिम मंजूरी दे दी है. ईरान की सरकारी न्यूज एजेंसी ने इसकी जानकारी दी. इसका अर्थ है कि पिछले महीने ईरान-इजरायल युद्ध के बाद ईरान द्वारा किया गया यह कानूनी पलटवार अब प्रभावी है.

संसद में पास हुआ था कानून

ईरानी संसद ने ठीक एक हफ्ते पहले बुधवार, 25 जून को संयुक्त राष्ट्र की इस परमाणु निगरानी संस्था के साथ सहयोग खत्म करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी थी. ईरान की अर्ध-सरकारी मेहर न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्णय अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु ठिकानों एस्फाहान, फोर्डो और नतांज में "ऑपरेशन मिडनाइट हैमर" में किए हमले के बाद लिया गया.

 ईरान ने कहा कि उसे अपनी संप्रभुता, हितों और लोगों की रक्षा करने का पूरा अधिकार है. ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन (इरान एटॉमिक इनर्जी ऑर्गनाइजेशन) ने घोषणा की कि यह हमला परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) का उल्लंघन है और यह ईरान को उसके "शांतिपूर्ण" परमाणु कार्यक्रम को जारी रखने से नहीं रोक सकता.

इससे पहले ईरानी संसद के अध्यक्ष मोहम्मद बाघेर गालिबफ ने IAEA की आलोचना करते हुए आरोप लगाया था कि उसने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमलों की निंदा नहीं की है, और कहा था कि IAEA ने अपनी "अंतर्राष्ट्रीय विश्वसनीयता" खो दी है. उन्होंने आगे कहा कि जब तक ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के बारे में आश्वासन नहीं मिल जाता, तब तक ईरान IAEA के साथ अपना सहयोग रोक देगा.

संसद अध्यक्ष ने कहा, "ईरान का शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम और अधिक तेजी से आगे बढ़ेगा."

गौरतलब है कि 13 जून को इजरायली हवाई हमलों ने ईरान के अंदर कई जगहों को निशाना बनाया, जिसमें परमाणु और सैन्य प्रतिष्ठान शामिल थे. इसके बाद अमेरिका ने ईरान के फोर्डो, नतांज और एस्फाहान परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए.

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