भारतीय छात्रों ने ब्रिटेन में शुरू किया "फेयर वीज़ा, फेयर चांस" अभियान, जानें- क्‍या है वजह

इंडिपेंडेंट माइग्रेशन कमिटी (MAC)को यूके के गृह सचिव जेम्स क्लेवरली द्वारा ग्रेजुएट रूट वीज़ा की समीक्षा करने के लिए नियुक्त किया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह "उद्देश्य के लिए उपयुक्त" है और अगले महीने तक रिपोर्ट करने की उम्मीद है.

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पोस्ट-स्टडी ग्रेजुएट रूट वीजा...
लंदन:

ब्रिटेन के प्रमुख भारतीय छात्र प्रतिनिधि संगठनों (Indian Student Group In UK) में से एक ने गुरुवार को पोस्ट-स्टडी ग्रेजुएट रूट वीजा (Graduate Route visa) के पक्ष में एक नया "फेयर वीजा, फेयर चांस" अभियान शुरू किया है. यह संगठन लगभग तीन वर्षों पहले लॉन्च होने के बाद से भारत के छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय साबित हुआ है. नेशनल इंडियन स्टूडेंट्स एंड एलुमनी यूनियन (NISAU) यूके, जिसने मूल रूप से उस वीज़ा के लिए अभियान चलाया था, जो इंटरनेशनल ग्रेजुएट्स को उनकी डिग्री के बाद दो साल के लिए वर्क एक्‍सपीरियंस हासिल  करने का मौका देता है. इनको डर है कि नए नियमों को लेकर हो रहे विचार-विमर्श में इस वर्क एक्‍सपीरियंस वीजा को खत्‍म किया जा सकता है. 

इंडिपेंडेंट माइग्रेशन कमिटी (MAC)को यूके के गृह सचिव जेम्स क्लेवरली द्वारा ग्रेजुएट रूट वीज़ा की समीक्षा करने के लिए नियुक्त किया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह "उद्देश्य के लिए उपयुक्त" है और अगले महीने तक रिपोर्ट करने की उम्मीद है. अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप (एपीपीजी) के सह-अध्यक्ष और एनआईएसएयू यूके के संरक्षक लॉर्ड करन बिलिमोरिया ने कहा, "दो साल तक पोस्ट-ग्रेजुएशन के लिए काम करने की क्षमता अंतरराष्ट्रीय छात्रों को उनकी डिग्री के लिए भुगतान करने के लिए पैसे कमाने में मदद करती है और कुछ को मूल्यवान कार्य अनुभव प्राप्त करने के साथ-साथ यूके के साथ मजबूत संबंध बनाने में सक्षम बनाती है." 

लॉर्ड करन बिलिमोरिया ने कहा, "हम एक वैश्विक दौड़ में हैं और हमें पोस्ट-ग्रेजुएशन कार्य के अवसर प्रदान करने होंगे, जो अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सहायता करें. दो वर्षीय पोस्ट-ग्रेजुएशन को हटाए जाने का डर है... वर्क वीज़ा दुनिया भर में अनावश्यक और हानिकारक नकारात्मक संदेश भेज रहा है, और विश्वविद्यालयों में पहले से ही अंतरराष्ट्रीय छात्रों के आवेदनों में भारी गिरावट देखी जा रही है."

उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि ग्रेजुएट रूट को कम कर दिया गया तो ब्रिटेन "अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा होगा", क्योंकि अंतरराष्ट्रीय छात्र ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में 42 अरब जीबीपी का योगदान करते हैं.  

अंतरराष्ट्रीय छात्रों के 2020-21 समूह के लिए इस अभियान के फिर से लॉन्च के बाद गृह कार्यालय का कहना है कि इसके तहत कुल 213,250 वीजा दिए गए हैं और इसमें छात्रों के सबसे बड़े समूह के रूप में भारतीयों का लगातार दबदबा रहा है. हालांकि, नए नियमों के कारण इसमें पिछले साल के मुकाबले 43 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है. 

एनआईएसएयू यूके के अध्यक्ष और यूके के अंतरराष्ट्रीय उच्च शिक्षा आयोग के आयुक्त सनम अरोड़ा ने कहा, "यह बहुत दुखद है कि ब्रिटेन में पढ़ाई के बाद काम करने की व्यवस्था फिर से शुरू होने के कुछ ही साल बाद, हमें एक बार फिर इसका बचाव करने के लिए मामला उठाना पड़ रहा है. ग्रेजुएट वीजा भारतीय छात्रों की एक प्रमुख आवश्यकता है और यूके की अंतरराष्ट्रीय उच्च शिक्षा प्रणाली की महत्वपूर्ण पेशकश." 

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उन्‍होंने बताया कि हमने इसे पिछली बार वापस लाने के लिए सात साल तक अभियान चलाया था और इस आवश्यक मार्ग की रक्षा के लिए फिर से लड़ेंगे. ग्रेजुएट रूट के बिना, विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिति चरमरा सकती है. इसका प्रभाव न केवल अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर, बल्कि यूके के घरेलू छात्रों पर भी बुरा होगा. घरेलू छात्रों को देखते हुए और ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में होने वाले विश्व स्तरीय शोध को अंतरराष्ट्रीय छात्रों द्वारा भारी सब्सिडी दी जाती है.

बता दें कि भारतीय छात्रों में पहले से ही ब्रिटिश विश्वविद्यालयों में आवेदन करने से मोह हटने के संकेत दिखने शुरू हो गए हैं, नवीनतम विश्वविद्यालयों और कॉलेज प्रवेश सेवा (यूसीएएस) के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत से आवेदनों में चार प्रतिशत की गिरावट आई है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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