अमेरिकी वायु सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल, भारतीय मूल के चिकित्सक अनिल मेनन को नासा ने नौ अन्य लोगों के साथ भविष्य के मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना है, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने घोषणा की है. मेनन (45) का जन्म और पालनपोषण मिनिसोटा के मिनियापोलिस में यूक्रेनी और भारतीय माता-पिता द्वारा किया गया. वह स्पेसएक्स के पहले फ्लाइट सर्जन थे, जिन्होंने नासा के स्पेसएक्स डेमो -2 मिशन के दौरान कंपनी द्वारा इंसानों को अंतरिक्ष में लॉन्च करने के पहले मिशन में मदद की और भविष्य के मिशनों के दौरान मानव प्रणाली का समर्थन करने के लिए एक चिकित्सा संगठन का निर्माण किया.
नासा ने सोमवार को एक बयान में बताया कि उसने 10 नए अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया, जिनमें से आधे सैन्य पायलट हैं. अंतरिक्ष एजेंसी ‘नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन' (नासा) ने ह्यूस्टन में एक समारोह के दौरान छह पुरुषों और चार महिलाओं का परिचय दिया. ह्यूस्टन ‘मिशन कंट्रोल एंड एस्ट्रोनॉट कोर' का केन्द्र है. इसके लिए 12 हजार से अधिक लोगों ने आवेदन किया था. चयनित 10 लोगों की उम्र 30 से 40 वर्ष के बीच है, जिन्हें ‘स्पेसफ्लाइट' में यात्रा करने के योग्य बनाने के लिए पहले दो साल का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने ह्यूस्टन में नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर के पास एलिंगटन फील्ड में सोमवार (छह दिसंबर) के कार्यक्रम के दौरान, चार साल में पहली बार अंतरिक्षयात्रियों की नई कक्षा, 2021 के सदस्यों का परिचय कराया. नेल्सन ने कहा, “आज हम 10 नए अन्वेषकों, आर्टिमिस पीढ़ी के 10 नए सदस्यों का नासा के 2021 अंतरिक्षयात्री प्रतिभागी कक्षा में स्वागत कर रहे हैं.” ये प्रतिभागी जनवरी 2022 से दो साल के प्रशिक्षण के लिए जॉनसन पर रिपोर्ट करेंगे.
मेनन ने पहले अंतरिक्ष यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक ले जाने वाले विभिन्न अभियानों के लिए क्रू फ़्लाइट सर्जन के रूप में नासा की सेवा की थी. वह एक सक्रिय रूप से अभ्यास करने वाले आपातकालीन चिकित्सा विशेषज्ञ हैं, जो जंगल और एयरोस्पेस चिकित्सा में फेलोशिप प्रशिक्षण प्राप्त हैं. एक चिकित्सक के रूप में, वह हैती में 2010 भूकंप, नेपाल में 2015 भूकंप और 2011 रेनो एयर शो दुर्घटना के दौरान पहले प्रतिक्रिया दल का हिस्सा थे.
वायु सेना में, मेनन ने फ्लाइट सर्जन के रूप में 45वें स्पेस विंग और 173वें फाइटर विंग में सेवाएं दीं, जहां उन्होंने F-15 फाइटर जेट में 100 से अधिक उड़ानें भरीं और क्रिटिकल केयर एयर ट्रांसपोर्ट टीम के हिस्से के रूप में 100 से अधिक रोगियों का उपचार किया.
जुलाई में एरोनॉटिकल इंजीनियर सिरीशा बंदला कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स के बाद अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला बनीं. विंग कमांडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले एकमात्र भारतीय नागरिक हैं. भारतीय वायु सेना के पूर्व पायलट ने सोवियत इंटरकोस्मोस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में तीन अप्रैल, 1984 को सोयुज टी-11 पर उड़ान भरी थी.