मिलकर सुलझाएंगे सीमा विवाद... भारत और चीन के बीच बड़ी सहमति, विशेषज्ञों की टीम का गठन जल्द

विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारत और चीन के बीच मैत्रीपूर्ण विचार विमर्श के माध्यम से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने और जल्द से जल्द चीनी मुख्य भूभाग और भारत के बीच सीधी उड़ान संपर्क बहाल करने पर भी बात बनी है.

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  • भारत और चीन ने सीमा विवाद सुलझाने और सीमा निर्धारण के लिए विशेषज्ञ समूह गठन पर सहमति जताई है.
  • दोनों देशों ने तीन व्यापार बिंदुओं के माध्यम से सीमा व्यापार खोलने और निवेश सुविधाजनक बनाने पर सहमति बनाई है.
  • सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखने और भारत-चीन के बीच सीधी उड़ान संपर्क बहाल करने पर भी बात बनी है.
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नई दिल्ली:

भारत और चीन सीमा विवाद सुलझाने पर सहमत हो गए हैं. इसे दोनों देशों के बीच संबंधों में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है. सीमा निर्धारण को लेकर जल्द से जल्द समाधान को लेकर एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया जाएगा. साथ ही दोनों देश तीन व्यापार बिंदुओं के माध्यम से सीमा व्यापार को फिर से खोलने पर सहमत हो गए हैं.

विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारत और चीन के बीच ठोस उपायों के माध्यम से व्यापार और निवेश प्रवाह को सुविधाजनक बनाने पर भी सहमति बनी है. साथ ही मैत्रीपूर्ण विचार विमर्श के माध्यम से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने और जल्द से जल्द चीनी मुख्य भूभाग और भारत के बीच सीधी उड़ान संपर्क बहाल करने पर भी बात बनी है.

भारत और चीन सहयोग बढ़ाने और एक-दूसरे की चिंताओं का समाधान करने के लिए विभिन्न निगोसिएशन सिस्टम और एक्सचेंज को फिर से शुरू करने पर सहमत हुए हैं.

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के दौरान चीन के साथ सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया और सीमा संबंधी मुद्दों के निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई.

मोदी ने कहा कि भारत और चीन के बीच स्थिर, पूर्वानुमानित और रचनात्मक संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति में महत्वपूर्ण योगदान देंगे. प्रधानमंत्री ने कहा कि वह चीन के शहर तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के आगामी शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मिलने के लिए उत्सुक हैं.

सोमवार को दो दिवसीय यात्रा पर दिल्ली पहुंचे वांग ने मोदी को शी की ओर से एक संदेश और एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए निमंत्रण सौंपा.

भारत और चीन द्वारा पूर्वी लद्दाख में गतिरोध समाप्त करने पर सहमति जताए जाने के दो दिन बाद, मोदी और शी ने पिछले साल अक्टूबर में रूसी शहर कज़ान में मुलाकात की थी. उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने तथा सीमा विवाद को सुलझाने के लिए कई तंत्रों को बहाल करने पर सहमति व्यक्त की थी.

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वांग की यात्रा को दोनों पड़ोसियों द्वारा अपने संबंधों को फिर से सुधारने के प्रयासों के रूप में देखा जा रहा है. वर्ष 2020 में गलवान घाटी में संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच गंभीर तनाव पैदा हो गया था.

प्रधानमंत्री ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘विदेश मंत्री वांग यी से मिलकर खुशी हुई. पिछले वर्ष कज़ान में राष्ट्रपति शी के साथ मेरी मुलाकात के बाद से भारत-चीन संबंधों में एक-दूसरे के हितों और संवेदनशीलता के सम्मान के साथ निरंतर प्रगति हुई है. मैं एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान तियानजिन में होने वाली हमारी अगली बैठक को लेकर आशान्वित हूं. भारत और चीन के बीच स्थिर, पूर्वानुमानित, रचनात्मक संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति एवं समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देंगे.''

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कहा कि मोदी ने सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया और सीमा मुद्दों के 'निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य' समाधान के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई.

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पीएमओ ने एक बयान में कहा, 'प्रधानमंत्री ने पिछले वर्ष कज़ान में राष्ट्रपति शी के साथ अपनी बैठक के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में हुई स्थिर और सकारात्मक प्रगति का स्वागत किया, जो आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता पर आधारित है, जिसमें कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली भी शामिल है.'

मोदी ने एससीओ शिखर सम्मेलन के निमंत्रण के लिए शी चिनफिंग को धन्यवाद दिया और अपनी स्वीकृति व्यक्त की.

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