हमास को लेकर भारत के सामने बढ़ी कूटनीतिक चुनौती, वैश्विक स्तर पर दबाव बनाने की हो रही कोशिश?

सरकारी सूत्रों का कहना है कि जहां तक इजरायल का सवाल है, भारत ये मानता है कि 7 अक्टूबर पर इजरायल पर आतंकी हमला हुआ था. लेकिन जब हमास की बात आती है, भारत इसे आतंकी समूह नहीं मानता. सरकारी सूत्रों का कहना है कि भारत के इस स्टैंड के पीछे आर्थिक और आंतरिक मजबूरियां.

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हमास की ओर से 7 अक्टूबर को इजरायल पर 20 मिनट के अंदर करीब 5 हजार रॉकेट दागे गए.
नई दिल्ली:

इजरायल और फिलिस्तीनी संगठन हमास (Hamas) के बीच 20 दिन से जंग (Israel Palestine Conflict) चल रही है. 7 अक्टूबर को हमास ने गाजा पट्टी से इजरायल की तरफ कुछ मिनटों में 5000 से ज्यादा रॉकेट दागे. हमास के लड़ाकों ने सुरंग के रास्ते इजरायल में घुसपैठ की और घरों में घुसकर लोगों को मारा. जंग इसके बाद से इजरायल गाजा पट्टी (Gaza Strip) पर जवाबी कार्रवाई कर रहा है. इजरायली सेना ने गाजा में 250 जगहों पर हमला किया है. इस दौरान उन्होंने हमास के ठिकानों, कमांड सेंटर, सुरंगों और रॉकेट लॉन्चर्स को निशाना बनाया. जंग की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इजरायल पर हुए हमले को आतंकी हमला कहा था. पीएम मोदी ने इसके साथ ही कहा कि भारत इजरायल के साथ खड़ा है. हालांकि, भारत हमास को लेकर खुलकर कुछ भी कहने से बचता रहा है.

जंग के बीच भारत में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने बड़ा बयान दिया. गिलोन ने बुधवार को कहा, "अब समय आ गया है, जब भारत हमास को आतंकवादी समूह घोषित करे. भारत बेशक इजरायल का अहम सहयोगी है और वो आतंकवाद की समस्या को समझता है. क्योंकि भारत खुद आतंकवाद का शिकार रहा है." आइए समझते हैं कि इजरायल के साथ जंग के बीच हमास को लेकर आखिर भारत सावधानी क्यों बरत रहा है? आखिर भारत की राजनयिक चुनौतियां क्या हैं?

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जो बाइडेन का बयान भी चर्चा में
दरअसल, इजरायल-हमास के जंग के बीच यहां अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन का एक बयान भी चर्चा में है, जिसका यहां जिक्र करना जरूरी है. बाइडेन ने गुरुवार को कहा कि इजरायल-हमास के बीच जंग की एक वजह भारत-मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर भी हो सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "मुझे लगता है कि हमास की ओर से इजरायल पर आतंकवादी हमला करने का एक कारण हाल ही में नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान महत्वाकांक्षी भारत-मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर (India-Middle East Economic Corridor) की घोषणा भी हो सकता है. हालांकि, ये मेरा अनुमान और अंतरआत्मा की आवाज है. मेरे पास इसे साबित करने के लिए कुछ सबूत नहीं है." 

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बाइडेन के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि भारत पर दबाव बनाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत-मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर का जिक्र किया. अमेरिका भी यही चाहता है कि भारत फिलिस्तीनी संगठन हमास को आतंकी संगठन घोषित करे. ये भारत के सामने बड़ी राजनीतिक चुनौती है.

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भारत की क्या है राजनयिक चुनौतियां?
ससरकारी सूत्रों का कहना है कि जहां तक इजरायल का सवाल है, भारत ये मानता है कि 7 अक्टूबर पर इजरायल पर आतंकी हमला हुआ था. लेकिन जब हमास की बात आती है, भारत इसे आतंकी समूह नहीं मानता. सरकारी सूत्रों का कहना है कि भारत के इस स्टैंड के पीछे आर्थिक और आंतरिक मजबूरियां. आर्थिक मजबूरियां ये हैं कि भारत के कई इनवेस्टमेंट अरब देशों में हैं. कई भारतीय नागरिक अरब देशों में रहते हैं और काम करते हैं. OIC के 57 देश इस जंग में फिलिस्तीन के साथ खड़े हैं. भारत रूस के बाद अरब देशों से क्रूड ऑयल इंपोर्ट करता है. इन दोनों देशों ने गाजा पर हमले के लिए इजरायल की आलोचना की है.

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भारत की आंतरिक मजबूरियां
इसके साथ ही भारत की आंतरिक मजबूरियां भी हैं. इजरायल-हमास की जंग में इस्लामिक वर्ल्ड हालात पर बहुत बारीकी से नजर बनाए हुए है. गाजा पट्टी में इजरायल के हर एक्शन को बारीकी से देखा और समझा जा रहा है. खासकर कश्मीर के लोग भी पर नजर बनाए हुए हैं. इसे लेकर एक हाईलेवल मीटिंग भी हुई थी, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर में सिक्योरिटी मैट्रिक्स को और मजबूत करने पर जोर दिया गया. ऐसे में भारत कतई नहीं चाहेगा कि इजरायल-हमास के बीच के युद्ध से देश के अंदर का माहौल खराब हो. लिहाजा भारत हमास को लेकर बड़ी सावधानी बरत रहा है.

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इजरायल-हमास जंग पर भारत का क्या रहा है स्टैंड? 
भारत हमेशा से आतंकवाद के सभी रूपों का विरोध करता रहा है. ऐसे मामलों और मुद्दों पर भारत शांतिपूर्ण ढंग से बातचीत करने समाधान निकालने और मानवता का पक्षधर रहा है. इजरायल और हमास के बीच जंग में भारत का शुरुआत से यही स्टैंड रहा है. भारत यही चाहता है कि इजरायल और फिलिस्तीन शांति उपायों के लिए एक जगह बैठकर बात करें. गाजा पट्टी में निर्दोष फिलिस्तीनियों का खून न बहाया जाए. इसके अलावा भारत 'टू नेशन थ्योरी' के तहत दोनों देशों की संप्रभुता का भी पक्षधर रहा है. इसलिए भारत ने कई मौकों पर दोनों पक्षों को बातचीत से विवाद सुलझाने का सुझाव दिया है.

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गाजा के ताजा हालात?
'न्यूयॉर्क टाइम्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 7 अक्टूबर के बाद इजरायल ने गाजा पर हमले तेज कर दिए हैं. इस दौरान अब तक 1600 लोगों के लापता होने की खबर है. इनमें 900 बच्चे शामिल हैं. कुछ लोग और बच्चों के इजरायली बमबारी में तबाह हुई इमारतों के मलबे में दबे होने की आशंका है.

अस्पतालों में बुरा हाल
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बुधवार को बताया कि गाजा पट्टी में फिलहाल सुविधाओं और खास तौर पर ईंधन की कमी के चलते 35 में से 12 अस्पताल बंद हो चुके हैं. 7 बड़े अस्पतालों में क्षमता से ज्यादा मरीज भर्ती हैं. इससे वर्क लोड बढ़ता जा रहा है. दवाओं और इलाज के लिए अन्य चीजों की कमी होने लगी है.

150 रिफ्यूजी कैम्प चलाए जा रहे 
इस बीच संयुक्त राष्ट्र (UN) की तरफ से गाजा और आसपास के इलाकों में कुल मिलाकर 150 रिफ्यूजी कैम्प चलाए जा रहे हैं. इनमें 6 लाख से ज्यादा रिफ्यूजी मौजूद हैं. हैरानी की बात यह है कि गाजा में बमुश्किल राहत सामग्री पहुंच पा रही है. इसे बांटने के लिए जो वाहन हैं, उनमें फ्यूल ही नहीं है. सीमा पर ट्रकों की लाइन लगी है. 

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भारत ने अब तक की कैसी मदद?
भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ में बताया कि अब तक गाजा पट्टी में फिलिस्तीन के आम लोगों के लिए मानवीय मदद के रूप में 20 ट्रकों में 38 राहत सामग्री भेजी गई है. इसमें 32 टन भोजन और अन्य सामान है. कंबल, टेंट, तिरपाल, स्लीपिंग बैग्स, वॉटर प्यूरीफाई करने की दवाइयां और रोजमर्रा के जरूरी सामान भी भेजे गए हैं. इसके साथ ही 6 टन मेडिकल हेल्प और मेडिसीन भेजे गए हैं.

भारतीय वायुसेना का C-17 विमान राहत सामग्री लेकर इजिप्ट पहुंचा था, यहां से भारतीय ट्रकों को गाजा पट्टी पहुंचाया गया है. भारत ने कहा कि वो आगे भी ऐसी मानवीय मदद भेजता रहेगा.
 

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