आजकल अमेरिका में जितनी बात चीन की हो रही है उतनी ही अल सल्वाडोर की भी हो रही है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अवैध प्रवासियों को अमेरिका से बाहर भेजने की अपनी रणनीति में अल सल्वाडोर को एक हथकंड़ा बना लिया है. खास तौर पर बात हो रही है अल सल्वाडोर की कुख्यात CECOT जेल की. इस अधिकतम सुरक्षा वाली जेल में पिछले महीने ही वेनेजुएला गैंग के 238 मेंबर और सल्वाडोरन गैंग के 23 मेंबर को निर्वासित करने के बाद, ट्रंप अब उन अपराधियों को भी यहां भेजने पर विचार कर रहे हैं जो अमेरिका के नागरिक हैं. कमाल है न अमेरिका का राष्ट्रपति खुद अपने नागरिकों को किसी और देश की जेल में बंद करने की तैयारी कर रहा है. बदले में अल सल्वाडोर को पैसा मिल रहा.
मानवाधिकार की बात करने वाले एक्टिविस्ट्स के बीच यह चिंता बढ़ रही है कि अल सल्वाडोर की यह जेल एक ऐसी “ब्लैक होल” होल बनती जा रही है जहां अमेरिका के अपने यहां से निकाले गए प्रवासियों या अन्य अवांछित लोगों को भेज रहा है, ताकि उनसे छुटकारा भी मिल जाए और उसका कोई कानूनी परिणाम भी न झेलना पड़े.
गैंग मेंबर छोड़ों, 14 साल से अमेरिका में रहते व्यक्ति को भी ‘गलती' से भेजा
पिछले महीने, ट्रंप ने वेनेजुएला के गैंग ट्रेन डी अरागुआ के 238 कथित मेंबर, साथ ही सल्वाडोर के गैंग एमएस-13 के 23 कथित मेंबर को अल सल्वाडोर निर्वासित कर दिया था. इन लोगों को अब अल सल्वाडोर में 40,000 क्षमता वाली और अधिकतम सुरक्षा वाली जेल, सेंटर फॉर द कन्फाइनमेंट ऑफ टेररिज्म (सेंट्रो डी कॉन्फिनामिएंटो डेल टेररिस्मो) या CECOT में रखा जा रहा है.
अधिक आलोचना तो इस बात पर हो रही कि गैंग मेंबर्स के साथ-साथ, ट्रंप ने 29 साल के सल्वाडोरन नागरिक किल्मर अरमांडो अब्रेगो गार्सिया को भी अल सल्वाडोर के इस कुख्यात जेल में भेज दिया गया है. अब्रेगो गार्सिया 14 साल से मैरीलैंड में रह रहा था और उसने एक अमेरिकी नागरिक से शादी भी की है. यह सब किया गया बिना किसी कोर्ट में सुनवाई के. ट्रंप सरकार ने खुद माना है कि अब्रेगो को उसने गलती से अल सल्वाडोर भेज दिया है लेकिन अब अल सल्वाडोर के राष्ट्रपति ने कहा है कि वो उसे वापस अमेरिका नहीं भेजेंगे. मैरिलैंड के एक जज ने भी उसे वापस अमेरिका लाने की मांग की है.
CECOT जेल हार्डकोर आतंकवादियों को लिए बनाई गई जेल है. इसे अल सल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले के सख्त अपराध विरोधी अभियान में पकड़े गए गैंगस्टरों को रखने के लिए बनाया गया था. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार ऑबजर्बर्स का कहना है कि इस जेल में अमेरिका से भेजे गए अधिकांश प्रवासियों ने कोई अपराध नहीं किया था, और इनमें से कई को अमेरिका में शरणार्थी का दर्जा (असाइलम स्टेट्स) प्राप्त किया था. अल सल्वाडोर भेजे जाने के बाद से उनकी कोई खबर नहीं आई है. अब कानून का रास्ता उन्हें नजर नहीं आ रहा.
अब्रेगो गार्सिया की पत्नी जेनिफर वास्केज सुरा मीडिया से बात करती हुईं
Photo Credit: एएफपी
ह्यूमन राइट्स वॉच ने पिछले सप्ताह एक रिपोर्ट में कहा कि अल सल्वाडोर और अमेरिका ने दर्जनों लोगों को "जबरन गायब कर दिया और मनमाने ढंग से हिरासत में लिया." CECOT जेल में, उन्हें संपर्क से दूर रखा जाता है, यहां तक कि वकीलों से भी संपर्क करने की अनुमति नहीं दी जाती है.
अमेरिका ने क्यूबा में एक सैन्य अड्डे पर आतंकवादी संदिग्धों के लिए एक अमेरिकी जेल बना रखा है जिसका नाम ग्वांतानामो जेल है. यहां अमेरिका हार्डकोर क्रिमिनल्स को भेजता है. ह्यूमन राइट्स वॉच के अमेरिका के डिप्टी डायरेक्टर जुआन पैपियर ने अल सल्वाडोर की CECOT जेल को लेकर एएफपी को कहा कि "वे स्टेरॉयड लिया एक ग्वांतानामो बनाना चाह रहे हैं... एक ऐसा ब्लैक होल जहां वहां बंद लोगों के लिए कोई कानूनी सुरक्षा नहीं है."
ट्रंप को अल सल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले में दिखा दोस्त
ट्रंप सरकार और नायब बुकेले की सरकार ने अपने पार्टनरशिप पर हो रही तमाम आलोचनाओं को खारिज कर दिया है. ट्रंप ने सोमवार, 14 अप्रैल को अपने सामूहिक निर्वासन अभियान में "हमारी मदद करने" के लिए बुकेले को गर्मजोशी से धन्यवाद दिया.
एएफपी ने अल सल्वाडोर में हिरासत में लिए गए वेनेजुएला के कई रिश्तेदारों का इंटरव्यू लिया. इनमें सभी ने जोर देकर कहा कि उनके प्रियजन अपराधी नहीं थे. वाशिंगटन स्थित WOLA वकालत समूह ने सोमवार को प्रकाशित एक टिप्पणी में चेतावनी दी कि "हजारों नागरिक सल्वाडोर की अपमानजनक जेल प्रणाली में बंद हैं" और "इन स्थितियों के परिणामस्वरूप हिरासत में कम से कम 350 लोगों की मौत हो गई है.
(इनपुट- एएफपी)