कोरोना महामारी के लिए जिम्मेदार SARS-CoV-2 वायरस के कारण पार्किंसन बीमारी का खतरा बढ़ सकता है. हाल में चूहों पर किए गए एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है. रिसर्चर्स के अनुसार, कोविड-19 के मरीज आमतार पर सिरदर्द और अनिद्रा जैसे लक्षणों को रिपोर्ट करते हैं जो एक वायरल इनफेक्शन में कोई नई बात नहीं है. उन्होंने बताया कि वर्ष 1918 की एनफ्लुएंजा महामारी के बाद रोगियों को "post-encephalic parkinsonism” नामक न्यूरोलॉजिकल बीमारी के विकसित होने में करीब एक दशक का समय लगा था.
जर्नल मूवमेंट डिस्ऑर्डर में प्रकाशित स्टडी में पाया गया कि SARS-CoV-2 वायरस मस्तिष्क की संवेदनशीलता को एक ऐसे विष (toxin) के रूप में बढ़ा सकता है पार्किंसन रोग में देखी गई तंत्रिका कोशिकाओं में मृत्यु का कारण बनता है. अमेरिका की थॉमसन जेफरसन यूनिवर्सिटी के स्टडी के पहले लेखक रिचर्ड स्मेने (Richard Smeyne)ने कहा, "पार्किंसन एक दुर्लभ बीमारी है जो 55 वर्ष से ऊपर की आबादी के दो प्रतिशत को प्रभावित करती है. ऐसे में इस बीमारी का जोखिम की आशंका बढ़ने से घबराने की जरूरत नहीं है लेकिन कोविड किस तरह से हमरे मस्तिष्क पर असर डाल सकता है, इसे जानना इस मायने में महत्वपूर्ण है कि हम इसी से इस बीमारी से निपटने की तैयारी कर लें. "
स्टडी में कहा गया है कि कोरोनावायरस चूहों के मस्तिष्क के नर्व्स सेल को उन टॉक्सिन के प्रति संवेदनीशील बना देता है जिसे पार्किंसन की बीमारी के लिए जिम्मेदार माना जाता है और जिससे दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है. स्टडी में शोधकर्ताओं ने पाया कि 2009 की फ्लू महामारी के कारण H1N1 एनफ्लुएंजा स्ट्रेन के संपर्क में आने वाले चूहे MPTP के प्रति अधिक संवेदनशील थी. MPTP एक टॉक्सिन है जो पार्किंसन के विशिष्ट लक्षणों का कारण बनता है.
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