2023 में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा भारत, चीन की जनसंख्या में आई भारी गिरावट

चीन की सरकार ने बताया था कि उनके यहां 8 दिसंबर 2022 से लेकर 12 जनवरी 2023 तक करीब 60 लोगों की कोरोना के कारण मौत हुई है. इससे पहले चीन में निगेटिव जनसंख्या दर 1960 के दशक की शुरुआत में दर्ज की गई थी. यानी पिछले 6 दशक में पहली बार चीन में जन्म लेने वालों से ज्यादा लोगों की मौत हुई है.

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चीन की जन्म दर, या प्रति 1,000 लोगों पर नवजात शिशुओं की संख्या पिछले साल घटकर 6.77 रह गई.
नई दिल्ली:

दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन जनसंख्या में कमी का सामना कर रहा है. पिछले 6 दशकों में पहली बार चीन की जनसंख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है. ऐसे में भारत इस साल चीन को पीछे छोड़ते हुए विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा. भारत की आबादी 2023 के अप्रैल महीने में 143 करोड़ तक पहुंच आएगी. इसी के साथ जनसंख्‍या (Population) के मामले में चीन भारत से पिछड़ जाएगा. भारत की जनसंख्या वृद्धि दर बड़े देशों के मुकाबले काफी ज्यादा है. बीते साल (2022 में) दुनियाभर में 13 करोड़ बच्चे पैदा हुए, जिनमें से करीब 2.50 करोड़ बच्चे अकेले भारत में पैदा हुए. चीन में यह आंकड़ा महज 'लाखों' में रहा.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन अब गंभीर जनसंख्या संकट से जूझ रहा है. राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, चीन में पिछले साल 2022 के अंत में 1.41 बिलियन लोग थे, जो 2021 के अंत की तुलना में 850,000 कम थे. यह 1961 के बाद से पहली गिरावट का प्रतीक है. चीन में 2022 में 9.56 मिलियन (90 लाख 56 हजार) लोगों ने जन्म लिया, जबकि मरने वालों की तादाद 10.41 मिलियन (1 करोड़ 41 हजार) दर्ज की गई. 

जीरो कोविड पॉलिसी को छोड़ना पड़ा महंगा
दिसंबर की शुरुआत में जीरो कोविड पॉलिसी को अचानक छोड़ने के बाद चीन को कोरोना से संबंधित मौतों में वृद्धि का सामना करना पड़ा. इस साल भी चीन में कोविड से मौतें होने की आशंका है, क्योंकि कोरोना का नया वेरिएंट पूरे देश में फैल रहा है. यह प्रकोप इस वर्ष कोविड से मौतों की संख्या को और बढ़ा सकता है.

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चीन ने दिए थे ये आंकड़े
हाल ही में चीन की सरकार ने बताया था कि उनके यहां 8 दिसंबर 2022 से लेकर 12 जनवरी 2023 तक करीब 60 लोगों की कोरोना के कारण मौत हुई है. इससे पहले चीन में निगेटिव जनसंख्या दर 1960 के दशक की शुरुआत में दर्ज की गई थी. यानी पिछले 6 दशक में पहली बार चीन में जन्म लेने वालों से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. 

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आर्थिक तौर पर होगा बुरा असर
चीन की जनसंख्या में आ रही गिरावट का आर्थिक तौर पर काफी बुरा असर होगा. चीन में कम लोग पैदा हो रहे हैं. साथ ही वहां की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है. जल्द ही ऐसा समय भी आएगा, जब चीन के पास काम करने वाले युवाओं की कमी होगी. विशेषज्ञों का मानना है कि ये ट्रेंड नए घरों और सामानों की मांग को धीमा करके आर्थिक विकास पर ब्रेक के तौर पर काम कर सकती है. जनसंख्या में गिरावट के कारण चीनी अर्थव्यवस्था आकार में अमेरिका से आगे निकलने के लिए भी संघर्ष कर सकती है. 
    
श्रम बल तेजी से हो रहा कम
2019 तक संयुक्त राष्ट्र भविष्यवाणी कर रहा था कि चीन की आबादी 2031 में चरम पर होगी और फिर घट जाएगी, लेकिन पिछले साल संयुक्त राष्ट्र ने उस अनुमान को संशोधित किया था. चीन में श्रम बल पहले से ही सिकुड़ रहा है. दीर्घकालिक घरों की मांग में और गिरावट आने की आशंका है. चीनी सरकार को अपनी कम निधि वाली राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के भुगतान के लिए भी संघर्ष करना पड़ सकता है.

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चीन में जन्म दर में भारी गिरावट
चीन की जन्म दर, या प्रति 1,000 लोगों पर नवजात शिशुओं की संख्या पिछले साल घटकर 6.77 रह गई, जो कम से कम 1978 के बाद का सबसे निचला स्तर है. राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़ों से पता चलता है कि 62% आबादी कामकाजी उम्र की थी, जिसे चीन 16 से 59 साल की उम्र के लोगों के रूप में परिभाषित करता है. ये एक दशक पहले लगभग 70% से नीचे था. 

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