Afghanistan Crisis Update: आखिरकार वही हुआ जिसका अंदेशा था. अमेरिकी-नाटो सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी के बाद तालिबान का मुल्क पर नियंत्रण हो गया है. इसके कारण दहशत का माहौल है और लोग देश छोड़कर भागने को मजबूर हैं. सोमवार को देश छोड़ने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ काबुल एयरपोर्ट पर इकट्ठी हो गई. हर कोई, किसी न किसी तरह प्लेन में चढ़ना चाह रहा था. इस दौरान भगदड़ मचने से कम से काम पांच लोगों की मौत हो गई. काबुल पर रविवार को कब्जा कर लेने के बाद अफगानिस्तान पर अब पूरी तरह से तालिबानियों की हुकूमत है. हालत यह है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी पड़ोसी देश ताजिकिस्तान में शरण ले चुके हैं. तालिबान के हथियारबंद सदस्यों के राष्ट्रपति कार्यालय (presidential palace) पर नियंत्रण स्थापित कर लेने की तस्वीरें भी सामने आई थीं. अशरफ गनी (Ashraf Ghani) सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि 20 साल लंबी जंग में तालिबान जीत गया है.अफगानिस्तान छोड़ने से पहले राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अपने आखिरी संदेश में कहा है कि खूनखराबे से बचने के लिए उन्होंने देश छोड़ा है. इस बीच, अमेरिका ने तालिबान से सड़कों, एयरपोर्ट और सीमावर्ती प्रवेश मार्गों से बाहर जा रहे लोगों को कोई नुकसान न पहुंचाने की चेतावनी दी है. अमेरिका की अगुवाई में 65 देशों ने इसको लेकर एक साझा बयान जारी किया है. अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस समेत तमाम देश अफगानिस्तान से अपने नागरिकों को निकालने के लिए विशेष फ्लाइट चला रहे हैं.अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद माना जा रहा है कि कट्टरपंथी इस्लामिक समूह तालिबान का बड़े नेता मुल्ला बरादर देश का राष्ट्रपति बन सकता है.
अफगानिस्तान संकट को लेकर सोमवार का घटनाक्रम
अफगानिस्तान में तालिबान के शासन की पहली रात आयशा खुर्रम ने जागते हुए ही काटी. गोलियां की आवाजें और विमानों का आवाज लगातार रात के सन्नाटे को ब्रेक कर रही थी. उन्होंने इस दिन को पूरे मुल्क के लिए कयामत की तरह बताया.
जानी मानी अधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई ने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे पर हैरत जताई है, साथ ही मलाला ने कहा कि वह संकटग्रस्त देश में रह रही महिलाओं, अल्पसंख्यकों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लिए चिंतित हैं. पाकिस्तान की मलाला को लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज उठाने पर तालिबानी आतंकवादियों ने स्वात इलाके में सिर पर गोली मारी थी. गंभीर रूप से घायल मलाला का पहले पाकिस्तान में उपचार हुआ फिर बेहतर उपचार के लिए उसे ब्रिटेन ले जाया गया.
अफगानिस्तान पर तालिबान (Taliban) के नियंत्रण के बीच कई भारतीय अभी वहां फंसे हुए हैं. सूत्रों ने NDTV को बताया कि विदेश मंत्रालय के स्टाफ और इनकी सुरक्षा के लिए तैनात अर्धसैनिक बलों के जवानों सहित 200 से अधिक भारतीय इस समय काबुल में फंसे हुए हैं.
अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण के बाद हालात लगातार खराब हो रहे हैं. दहशत के कारण बड़ी संख्या में लोग देश छोड़ रहे हैं. एक न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी काबुल के एयरपोर्ट पर जुटी हजारों की भीड़ के बीच मची भगदड़ के कारण 5 लोगों को जान गंवानी पड़ी है. हर कोई हर हालत में विमान में घुसना चाह रहा था. दरअसल, सोमवार को हजारों की संख्या में लोग देश छोड़ने के लिए एयरपोर्ट और उसके आसपास एकत्र हो गए थे.
न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार, कांग्रेस ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद पैदा हुए हालात पर चिंता जताई है. पार्टी ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर को 'रहस्यमयी चुप्पी' तोड़कर देश को यह बताना चाहिए कि इस पड़ोसी देश को लेकर उनकी आगे की क्या रणनीति है तथा वहां से भारतीय राजनयिकों एवं नागरिकों की सुरक्षित वापसी की क्या योजना है?
अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर चिंता जताते हुए दिल्ली में रह रहे वहां के नागरिक शकीब ने न्यूज एजेंसी ANI से चर्चा में कहा, 'अफगानिस्तान ने रह रहे हमारे रिश्तेदार बेहद डरे हुए हैं. हमारा आग्रह है कि भारत सरकार, अफगानियों को यहां आने के लिए वीजा दे. '
एएनआई के अनुसार, अफगानिस्तान में तेजी से बदलते हालात पर "गहरी चिंता" व्यक्त करते हुए, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने रविवार को तालिबान और अन्य सभी पक्षों से "अत्यंत संयम" बरतने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि जीवन की रक्षा करें और सुनिश्चित करें कि मानवीय जरूरतों को पूरा किया जा सकता है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी अफगानिस्तान के संकट पर चिंता जिताई है.
एनडीटीवी की सुकीर्ति द्विवेदी की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में संकट के बीच 129 यात्रियों से भरी काबुल-दिल्ली फ्लाइट रविवार शाम यहां पहुंची. फ्लाइट में अफगानिस्तानी और भारतीय नागरिकों के अलावा अफगान संसद के कुछ सदस्य भी सवार थे. वापस आने वालों में शामिल अभिषेक ने कहा, "स्थानीय (अफगानी) लोग भविष्य को लेकर खौफ में हैं. जब हम भारत लौट रहे थे तो उन्होंने हमसे कहा, "आप जा रहे हैं. हम कहां जाएंगे. हमारी तो यह मातृभूमि है."
न्यूज एजेंसी एएफपी के अनुसार, अफगानिस्तान संकट को लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden)से इस्तीफा मांगा है. ट्रंप ने एक बयान में कहा, 'अफगानिस्तान में जो होने दिया गया, उसके लिहाज से जो बाइडेन के लिए यह इस्तीफा देने का समय है. ' ट्रंप ने कोविड-19 के ताजा मामलों की संख्या बढ़ने, घरेलू आव्रजन और आर्थिक व ऊर्जा नीति को लेकर भी बाइडेन की आलोचना की
एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तानमें तालिबान के पूर्व नियंत्रण के बाद मुल्क में अफरातफरी की स्थिति है. हजारों की संख्या में लोग काबुल छोड़कर दूसरे देश जाने की जद्दोजहद में जुट गए हैं. रिपोर्ट के अनुसारसोमवार सुबह काबुल एयरपोर्ट पर हजारों के हुजूम के बीच हंगामा हो गया, जिसके बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए अमेरिकी फौज ने हवा में गोलियां दागनी पड़ी.