अफगानिस्तान के असदाबाद शहर में गुरुवार को तालिबान लड़ाकों ने स्वतंत्रता दिवस की रैली में राष्ट्रीय ध्वज लहरा रहे लोगों पर गोलियां चलाईं, जिसमें कई लोग मारे गए. एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि एक दिन पहले भी इसी तरह के विरोध में तीन लोग मारे गए थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद यह पहला सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन सामने आया है. विरोध प्रदर्शन में अफगानिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज लहराते हुए तालिबाने के सफेद झंडे फाड़े गए. कुनार प्रांत की राजधानी पूर्वी शहर के रहने वाले मोहम्मद सलीम ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि असदाबाद में लोग गोलीबारी में मारे गए हैं या भगदड़ के कारण उनकी मौत हुई है.
सलीम ने कहा, "सैकड़ों लोग सड़कों पर निकल आए." "पहले तो मैं डर गया था और जाना नहीं चाहता था, लेकिन जब मैंने देखा कि मेरा एक पड़ोसी भी इसमें शामिल हो गया है तो मैंने घर पर लगा झंडा निकाल लिया."
"तालिबान द्वारा भगदड़ और गोलीबारी में कई लोग मारे गए और घायल हुए हैं." इस घटनाक्रम पर अभी तक तालिबान की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूर्वी शहर जलालाबाद और पक्तिया प्रांत के एक जिले में भी विरोध प्रदर्शन किया गया लेकिन यहां गंभीर हिंसा की कोई खबर नहीं है.
अफगानिस्तान हर साल 19 अगस्त को ब्रिटिश नियंत्रण से अपनी स्वतंत्रता का जश्न मनाता है. प्रत्यक्षदर्शियों और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बुधवार को तालिबान लड़ाकों ने जलालाबाद में काले, लाल और हरे रंग का राष्ट्रीय ध्वज लहरा रहे प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, जिसमें तीन की मौत हो गई.
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तालिबान के विरोध में रैली करने की कोशिश कर रहे पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया. उन्होंने ट्विटर पर कहा, "राष्ट्रीय ध्वज को लहराने और इस तरह राष्ट्र की गरिमा के लिए खड़े होने वालों को सलाम." सालेह ने मंगलवार को कहा कि वह राष्ट्रपति अशरफ गनी के अफगानिस्तान से भाग जाने के बाद वह "वैध कार्यवाहक राष्ट्रपति" हैं.
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