मध्य प्रदेश में वैक्सीन के ट्रायल को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं. यहां तमाम लोगों को वैक्सीन के ट्रायल के बारे में न तो पूरी जानकारी दी गई, कैसे जिन लोगों को कोविड वैक्सिन के ट्रायल में शामिल किया गया उन्हें सहमति पत्र नहीं दिया गया, कइयों को यह साफ जानकारी तक नहीं थी कि वे ट्रायल का इंजेक्शन ले रहे हैं. इस रिपोर्ट के संदर्भ में दीपक की मौत की कहानी भी अहम हो जाती है। हम नहीं कहते और कह सकते हैं कि दीपक की मौत वैक्सीन से हुई या किसी और चीज़ से. वो वैक्सीन के ट्रायल में शामिल थे और उनकी मौत किसी दूसरे कारण से भी हुई तो उनके परिजनों को क्यों नहीं बताया गया. क्या इसलिए कि दीपक दिहाड़ी मज़दूर थे, क्या ऐसा किसी पढ़े लिखे या नेता के साथ होता?