जिस कश्मीर का दौरा करने के लिए विदेशी पत्रकारों को अनुमति नहीं दी गई, दिल्ली स्थित राजनयिकों ने कश्मीर जाने की अनुमति मांगी तो सरकार ने मना कर दिया, अमेरिका के कांग्रेसमैन क्रिस वॉन होलेन को श्रीनगर जाने का अनुरोध भारत ने ठुकरा दिया, अब ऐसा क्या हुआ कि भारत ने यूरोपियन यूनियन के 27 सांसदों को कश्मीर जाने की अनुमति दे दी है. यही नहीं जिस दौरे को निजी बताया जा रहा है, कहा जा रहा है कि आधिकारिक नहीं है, हमें यह भी देखने को मिल रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी उन सांसदों को संबोधित भी कर रहे हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी उनसे मिल रहे हैं. अगर यह दौरा आधिकारिक नहीं है, निजी है तो क्या इन सांसदों की राय का कोई महत्व नहीं होगा, क्या यह उचित नहीं होता कि ये सांसद भारत की प्रेस से मिलते. सवाल जवाब का सामना करते. जिससे पता चलता कि वे किसके कहने पर आए हैं और कश्मीर किन सवालों को लेकर जा रहे हैं.