तमिलनाडु की हवा उदास है. वहां की शाम की बेचैनियां 20 साल तक उत्तर भारत के कुल जमा सवा चार राज्यों की आधी अधूरी रिपोर्टिंग करने वाला आपका एंकर यहां से महसूस नहीं कर सकता है. राजनीति को जीवन से भी ज़्यादा जीने वाले उत्तर भारत के दर्शकों के लिए जयललिता भले ही किसी मिथक की तरह लगती होंगी लेकिन तमिलनाडु की पब्लिक के लिए वो सिर्फ मिथक नहीं हैं. एक ऐसी हकीकत हैं जो उत्तर की निगाह से दूर चुपचाप अपने खित्ते में बड़ी होती चली गईं जिसके सामने उत्तर भारत का बड़ा से बड़ा महानायक मामूली लगता रहा.
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